• December 30, 2022

आदमखोर हो रहें हैं बाघ, वजह सिमटते जंगल और शिकार की कमी

आदमखोर हो रहें हैं बाघ, वजह सिमटते जंगल और शिकार की कमी

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

बाघों के सर्वे के दौरान एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके मुताबिक बाघ आदमखोर हो रहें हैं। यानी मनुष्य का शिकार कर रहें हैं। इसकी वजह घटते जंगल और शिकार में कमी को माना जा रहा है। पिछले तीन साल में देशभर में बाघ के हमलों से 106 मौतें हुईं, जिनमें से 80 अकेले महाराष्ट्र में हैं। इन 80 में भी 50 शिकार चंद्रपुर जिले में बनाए गए। इसी चंद्रपुर में आता है- ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 2021 में महाराष्ट्र में 350 बाघ थे, जो 2022 में 400 हो गए यानी 12% की बढ़ाेतरी हुई लेकिन इसी दौरान बाघ के हमलों में मरने वाले लोग 5 से बढ़कर 80 तक पहुंच गए, जो 1600% का उछाल दिखाता है।

बड़ी वजह यह है कि बाघों की संख्या जंगल की क्षमता से ज्यादा हो गई है। इसलिए वे बाहर निकल रहे हैं और आसपास के खेतों में काम करने वाले लोगों को निशाना बना रहे हैं। ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र के आवलगाव रेंज के फॉरेस्ट ऑफिसर एपी कारंडे बताते हैं कि पहले बाघ ढाई साल में प्रजनन करते थे, अब सवा साल में करने लगे हैं। पहले एक बार में पैदा होने वाले 4 शावकों में एक जीवित रहता था, अब चारों जीवित रहते हैं।

घटनाएं ऐसी जिसने लोगों को डराया
केस : वो खौफनाक मंजर देख कलेजा कांप गया, तीन बाघ मां को नोंच रहे थे
विभाग : एक ही बाघ हमलावर था, शिफ्ट कर दिया; लोग बोले- 2 अब भी घूम रहे

26 नवंबर को चंद्रपुर जिले के पहार्णी गांव के मंगेश माता-पिता के साथ खेत में काम कर रहे थे। तभी मां गायब हो गईं। आसपास देखा तो खून के निशान मिले। उनका पीछे करते हुए बढ़े तो देखा कि 3 बाघ मेरी मां को नोंच रहे थे। हम जोर-जोर से चीखते रहे लेकिन बाघ नहीं हटे। बाघों ने मां का सिर धड़ से अलग कर दिया। उस खौफनाक मंजर से आज भी मेरा कलेजा कांप उठता है।
वन विभाग के अफसरों का कहना है कि ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र में एक ही हमलावर बाघ था। हमने उसे पकड़कर स्थानांतरित कर दिया है। जबकि, गांववालों का कहना है- तीन बाघ थे, जिनमें से केवल एक का ही स्थानांतरण किया गया है।


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