- February 16, 2024
भाजपा की लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी : कट सकती है विजट बघेल की टिकट, दीपक साहू के नाम पर विचार, युवा चेहरे को लेकर भी लिए जा रहे फीडबैक
ट्राईसिटी एक्सप्रेस न्यूज। रायपुर
साल की शुरुआत के साथ ही अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपना रोड मैप तैयार कर लिया है। इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है। कई एजेंसियां अलग-अलग स्तर पर सर्वे कर रही हैं। इस बीच मीडिया से भी फीडबैक लेने का काम भाजपा द्वारा अधिकृत की गई इन एजेंसियों द्वारा लिया जा रहा है। इन सबके बीच वर्तमान सांसद विजय बघेल की टिकट कटने के आसार बढ़ गए हैं। भाजपा ने पहले राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय को दोबारा उच्च सदन में जाने का मौका नहीं दिया। अब लोकसभा से वर्तमान सांसद और सीनियर लीडर विजय बघेल को भी ड्रॉप करने की तैयारी शुरू हो गई है। उनकी जगह पूर्व सांसद ताराचंद साहू के बेटे दीपक साहू को मैदान में उतारने की तैयारी है। खबर है कि भाजपा दुर्ग को लेकर कोई भी रिस्क नहीं लेना चाह रही है, इस वजह से ओबीसी चेहरे पर दाव लगाने की तैयारी है। दीपक साहू साहू समाज के एक बड़े और स्थापित नेता हैं। लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। पार्टी का मानना है कि उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने से जीत पक्की है। उनके अलावा युवा चेहरे में आशुतोष दुबे को लेकर भी फीडबैक लिए गए हैं। आशुतोष हास्य कवि सुरेंद्र दुबे के पुत्र हैं। वे भाजपा के अऊ नहीं सहिबो बदलके रहिबो स्लोगन के बाद चर्चा में आए। इसके अलावा मीडिया सेल से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय मीडिया सेल टीम के सदस्य हैं। इसके अलावा एक नाम और सामने आया है, वह संतोष सोनी का, जो लंबे समय से भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं, संगठन से जुड़े काम कर रहे हैं। प्रदेश स्तर पर उनके नाम को लेकर भी फीडबैक लिया जा रहा है। संगठन स्तर पर महिला नेत्री के नाम को लेकर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन अब तक किसी नाम पर स्पष्ट सहमति नहीं बनी है। बता दें कि ओम माथुर, अजय जामवाल और नितिन नवीन की टीमें अलग-अलग स्तर पर काम कर रही हैं, जो लगातार प्रदेश के हर लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशियों के नाम तय करने को लेकर फीडबैक लेने का काम कर रही है।
विजय बघेल ने 3.91 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता
बता दें कि भाजपा के विजय बघेल ने पिछला चुनाव 391978 वोटों के एक बड़े अंतर से चुनाव जीता था। उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को चुनाव हराया था। मोदी लहर में उनकी भी चल निकली थी। इस बार ऐसा नजर नहीं आ रहा है। विजय बघेल को लेकर कार्यकर्ताओं में जहां पहले की तरह उत्साह नहीं है। वहीं आम जनता के बीच भी बघेल अपनी छवि बनाने में नाकाम साबित हुए हैं। पार्टी स्तर पर यह फीडबैक भी दिया गया है। भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा पत्र समिति का संयोजक भी बनाया था। इसके बाद उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी चर्चा में रहा, लेकिन जिम्मेदारी किरण सिंहदेव को दे दी गई। इसके अलावा सांसद बघेल की पिछले पांच सालों में लोकसभा क्षेत्र में कोई बड़ी उपपलब्धि भी देखने को नहीं मिली है। कोई भी बड़े प्रोजेक्ट प्रभावी ढंग से दुर्ग में न शुरू हो पाए, न ही पुराने प्रोजेक्ट पर काम हो पाया। नेहरूनगर से कुम्हारी तक बनाए जा रहे चार फ्लाईओवर की लेटलतीफी किसी से छिपी नहीं है। भारतमाला परियोजना पिछले 5 सालों से अटकी हुई है। किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। वे लगातार प्रशासनिक महकमें के चक्कर काट रहे हैं। रेलवे से जुड़ी किसी भी सुविधा का विस्तार नहीं हो पाया। स्थिति जस के तस बनी हुई है, बल्कि ज्यादा खराब हो चुकी है। ऐसे में बघेल का जनाधार पहले की तरह नहीं रहा है।
कांग्रेस से राजेंद्र साहू का नाम सबसे उपर, ताम्रध्वज साहू भी लगा रहे जोर
कांग्रेस में दुर्ग से लोकसभा चुनाव के लिए दिग्गज नेताओं की फौज है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व विधायक अरुण वोरा, प्रदीप चौबे, प्रतिमा चंद्राकर, बीडी कुरैशी जैसे कांग्रेस नेता हैं, जिन्हें पार्टी लोकसभा चुनाव में मैदान में उतार सकती है। इन सबके बीच राजेंद्र साहू एक ऐसा नाम है, जिनका व्यापक जनाधार है। उनकी स्वच्छ और मृदुभाषी छवि उन्हें लोगों का मुरीद बना रही है। राजेंद्र साहू पहले मेयर का चुनाव निर्दलीय लड़ चुके हैं। लंबे समय तक पार्टी से बाहर रहने के बाद उन्हें पुन: सदस्यता मिली। इसके बाद उन्हें जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष भी बनाया गया था। इसके बाद से पूरे लोकसभा क्षेत्र में उनके समर्थकों की बढ़ोत्तरी हुई। वर्तमान में उनका जनाधार भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वहीं ताम्रध्वज साहू भी टिकट की होड़ में है। लगातार वे दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। साथ ही बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके संबंध किसी से छिपे नहीं हैं।