- March 5, 2024
दुर्ग निगम का बजट पेश ही नहीं हुआ और पूर्व विधायक वोरा की प्रतिक्रिया आ गई, वह भी अपनी शहर सरकार के खिलाफ, शहर में हो रही खासी चर्चा
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
दुर्ग निगम का वित्तीय बजट 2024-25 के लिए तैयार कर लिया गया है। इसे 6 मार्च को सामान्य सभा की बैठक में रखा जाना है। बजट पर चर्चा के लिए पुस्तिका सिर्फ सदस्यों को दी गई है। अब तक बजट पेश भी नहीं हुआ है और शहर के पूर्व विधायक अरुण वोरा ने एक प्रेस नोट जारी कर इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे डाली। प्रतिक्रिया भी अपनी ही शहर सरकार के खिलाफ। वर्तमान में दुर्ग निगम के महापौर धीरज बाकलीवाल है, जो लंबे समय तक वोरा से करीबी रहे हैं।
वोरा ने बजट प्रतिक्रिया में कहा है कि वित्तिय वर्ष के बजट पुस्तिका अनुसार वर्ष 2024-25 का अनुमानित बजट 482 करोड़ 50 लाख 34 हजार बताया गया है। जो कि लाभ 10 लाख 55 हजार का है, पिछले वर्ष 384.40 करोड़ का बजट पेश किया गया था। जबकि इस वर्ष 100 करोड़ का ज्यादा बजट पेश किया जाएगा। जबकि इस परिषद के पास बहुत कम समय है। लोकसभा फिर निगम की आचार संहिता की वजह से इन्हें मात्र 4 माह का वक्त मिलेगा, इसलिए यह सवाल उठाया गया है कि क्या इतने कम समय में शहरवासियों को अनुमानित 482 करोड़ के मायाजाल में नहीं उलझाना चाहिए। जिसके तहत् ना युवाओं व महिलाओं के लिए कोई नई घोषणा नजर नहीं आती। प्रदेश में भाजपा की सरकार बने 4 माह हो गया। अब तक मूलभूत सुविधा हेतु फूटी कौड़ी भी नहीं पहुंची। वहीं पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा स्वीकृत सभी वार्डो के विकास हेतु 50 करोड़ की राशि की स्वीकृति मिली थी जिसे भी रोक दिया गया है। निगम द्वारा एक वर्ष पूर्व जो बजट में पेश किया था उसकी कई योजनाएं जस की तस रही है।
60 पार्षदों में सिर्फ 11 ने दिखायी जागरुकता
वर्तमान परिषद के अधिकांश पार्षदों ने भी बजट में शामिल करने हेतु प्रस्ताव नहीं दिया। सिर्फ 5 शहरी मंत्री व पक्ष-विपक्ष के 6 पार्षदों के अलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अरुण वोरा ने भी बजट के लिए सुझाव दिया। जिसमें प्रमुख शिवनाथ नदी सिवरेज प्लाट, लालबहादुर शास्त्री स्कूल निर्माण, हॉकी स्ट्रोटप व इण्डोर स्टेडियम, शिवनाथ रिवरफ्रट, शहर में प्रकाश व्यवस्था सुझाव, मल्टीलेबल पार्किग एवं बड़े नालो का सृदुढ़ीकरण व अमृत मिशन के कार्य पूर्ण किया जाना। वोरा ने कहा कि इस परिषद के कार्यकाल 9 माह शेष है। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है और बजट के लिए शासन से राशि मिलेगी तभी धरातल पर जनहित के कार्य होंगे।
बता दें कि बजट पर चुनावी आचार संहिता का असर नहीं
बता दें कि शहर सरकार पर चुनावी आचार संहिता का असर नहीं होता, बजट में किए गए प्रावधानों के अनुरूप साल में होने वाले कार्यों की सिर्फ योजना बनाई जाती है। उन योजनाओं की प्रशासनिक, शासकीय स्वीकृति शासन स्तर से अलग से लेनी पड़ती है। इसके मायने यह हैं कि कार्ययोजना तो बनेगी ही, उस पर काम भले ही आचार संहिता की वजह से अटक सकते हैं। इसके लिए बजट में तैयार की जाने वाली कार्ययोजनाओं को नहीं रोका जा सकता। इसके अलावा निकायों के चुनाव दिसंबर महीने में इस हिसाब से बजट को लेकर पूरे साल के लिए तैयार किया जाना जरूरी है। उन पर काम करने के प्रयास भी होने जरूरी हैं। इस प्रकार बजट की ऐसी प्रतिक्रिया को लेकर वोरा अपने विरोधियों के निशाने पर हैं। इसके अलावा इस बजट प्रतिक्रिया के बाद उनकी खिल्ली भी उड़ रहे हैं। भाजपा नेताओं के अलावा कांग्रेस के नेता और पार्षद भी इसे लेकर चुटकी ले रहे हैं।