- May 14, 2024
महापौर कांग्रेस का और विधायक भाजपा का, जनता के काम हो रहे प्रभावित, दोनों दरबारों में हाजरी लगाने की मजबूरी
दुर्ग निगम में नहीं हो रहे पार्षदों के काम, दोनों प्रमुख दलों के पार्षद परेशान, दफ्तरों में भी सूनापन
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
कभी राजनीतिक का अखाड़ा और शहर की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा दुर्ग निगम इन दिनों वीरान सा हो चला है। निगम में हर समय सन्नाटा पसरा रहता है। पब्लिक के तो छोिड़ए स्थानीय जनप्रतिनिधियों के काम भी प्रभावित हैं। अफसरशाही पूरी तरह से हावी है। ऐसा नहीं है कि घोटाले और गड़बड़ी की बात नहीं हो रही, सुनवाई नहीं होने से पार्षद और छोटे स्तर के राजनीतिक व्यक्ति रूचि नहीं ले रहे। इसका असर यह हुआ है कि अब कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों को भी निगम के जलकार्य विभाग, सफाई, लोककर्म, जन्म-मृत्यु, पंजीयन से लेकर राजस्व से जुड़े कामों और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए भी पसीने छूट रहे हैं। अफसर उनकी सुन ही नहीं रहे हैं, लोगों को पैसे देकर निगम के छोटे-मोटे कर्मचारियों की मदद लेकर काम कराना पड़ रहा है।
महापौर का कार्यकाल समाप्ति की ओर, वे भी गंभीर नहीं
महापौर धीरज बाकलीवाल का कार्यकाल भी समाप्ति की ओर है। महज 6 से 7 महीने का कार्यकाल शेष है। इसके अलावा इस बार पुन: प्रत्यक्ष चुनाव होने की संभावना बन रही है। यानी महापौर का निर्वाचन सीधे होना है। इस वजह से महापौर भी निगम कार्यालय नियमित रूप से नहीं पहुंच रहे हैं। आते भी हैं, तो महज कुछ मिनटों के लिए। इस वजह से जनता से जुड़ी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है। पब्लिक शिकायत लेकर इधर से उधर भटक रही है। अधिकारी और कर्मचारी भी उन्हें आचार संहिता का हवाला देकर लौटा दे रहे हैं। जबकि आचार संहिता के दौरान भी मूलभूत विषयों से जरूरी काम होने हैं। इसके अलावा शासन और प्रशासनिक स्तर पर कई काम शुरू भी हो चुके हैं।
विधायक के पास नहीं सुनवाई, बैरंक लौट रही जनता
इधर विधायक गजेंद्र यादव के जीतने के बाद से शहर के लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है। वे शिकायत लेकर महापौर और विधायक के पास चक्कर काट रहे हैं। महापौर कांग्रेस और विधायक भाजपा का होने की वजह से दोनों एक दूसरे पर बातें डाल रहे हैं। इस वजह से शहर के विकास से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व विधायक अरुण वोरा नियमित रूप से निगम में जानकारी लेने पहुंचते रहे हैं, लेकिन वर्तमान विधायक कभी-कभी भी पहुंच रहे हैं। इसके अलावा विद्युत नगर में राजनीतिक भीड़ की वजह से आम लोगों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
घोटालों, गड़बड़ी और लापरवाही की फाइल ठंडे बस्ते में
दुर्ग निगम क्षेत्र में कई घोटाले, गड़बड़ी और लापरवाही की फाइल ठंडे बस्ते में है। पुलगांव नाला डायवर्सन सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। इसके अलावा ठगड़ा बांध, सफाई के नाम पर करोड़ों की अनियमितता, एसएलआरएम सेंटरों में कचरे से खाद बनाने की योजना, वाहनों की खरीदी, दुकानों की नीलामी, अनुकंपा नियुक्ति, नलघर और गंजपारा कॉम्प्लेक्स, शंकरनाला का सुदृढ़ीकरण जैसे मामलों की जांच ठंडे बस्ते में है। शंकरनाला के सुदृढ़ीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए फूंके जा सके हैं। पूर्व में इस मामले में कांग्रेस के पार्षद उठाते रहे। निगम में जब शहर सरकार में कांग्रेस आई तो यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बता दें कि शंकर नाले में 10 करोड़ रुपए की ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी है। भाजपा के एक नेता और जनप्रतिनिधि इस मामले में सीधे इन्वॉल्ड रहे। इसका काम करने वाला ठेकेदार आज उनका सबसे बड़ा सहयोगी और सलाहकार है। उनके इशारों पर ही निगम, सिंचाई और वन विभाग में काम चल पड़ा है।