• August 16, 2024

माय लॉड…अफसर आपके आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे… क्योंकि बेमेतरा की सड़कों पर मवेशियों की जमघट अब भी, पिछले दिनों 5 मवेशियों की मौत भी हो चुकी

माय लॉड…अफसर आपके आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे… क्योंकि बेमेतरा की सड़कों पर मवेशियों की जमघट अब भी, पिछले दिनों 5 मवेशियों की मौत भी हो चुकी

ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज

बेमेतरा

बेमेतरा जिले की लगभग सभी प्रमुख सड़कों पर मवेशियों का जमघट कोई नई बात नहीं हैे। लगातार उन्हें सड़क पर बैठे आसानी से देखा जा सकता है। बता दें कि इन मवेशियों को लेकर हाई कोर्ट द्वारा लगातार आदेश पर आदेश जारी किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन को आदेशित किया जा रहा है कि इन्हें सड़क पर आने से रोकने के व्यापक इंतजाम किए जाएं। हर बार इस आदेश को एक अफसर दूसरे को और दूसरा तीसरे को ट्रांसफर कर रहा है। इस प्रकार माननीय हाईकोर्ट का आदेश सिर्फ फारवर्ड किए जाने तक सीमित हैं। इधर सड़क पर बैठने वाले ये भोले-मवेशी हर बार अज्ञात वाहनों का शिकार हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इससे केवल मवेशियों को नुकसान हो रहा है। कई मामलों में इंसानों की भी जान जा रही है, लेकिन इसके बाद भी शासन-प्रशासन में उच्च पदों पर बैठे अफसर इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसके चलते लगातार हादसे हो रहे हैं। पिछले दिनों बेरला मार्ग पर हादसा हुआ, जिसमें पांच मवेशियों की मौत हो गई। यह पहली बार नहीं है, ऐसे हादसे लगातार हो रहे हैं। बावजूद इसके कहीं किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। पुलिस के जवान जरूर इन मवेशियों को सड़क से खदेड़ते नजर आते हैं, लेकिन प्रशासनिक महकमें के जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे हुए हैं, जबकि उनकी जिम्मेदारी अहम है। ट्राईसिटी की पड़ताल में पता चला है कि गोठान को बंद करने की वजह से ज्यादा दिक्कतें सामने आ रही है। सारे लावारिस मवेशियों को खुले में छोड़ दिया गया है। इसकी वजह से वे किसानों की फसल भी खराब कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक रामपुर भाड़ में ही फसल को खासा नुकसान पहुंचाया है।

 

रामपुर (भाड़) जिला बेमेतरा में एक बार फिर मवेशियों के बारे में खबर मिली, रोज लावारिस मवेशी सड़कों पर रहते हैं, आसपास के किसानों के खेतों में चरते हैं। किसानों को फसलों को तबाह बर्बाद करते हैं। गौठान में किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया जा रहा, रखरखाव के लिए बेजुबान मवेशी दर दर भटकते हैं। तेज रफ्तार गाड़ियों की दुर्घटनाएं भी इनकी वजह से हो जाती है। इनके साथ कुछ मवेशी गांव वालों के भी हैं। जिनका गांव वाले लोगो से पता लगा कि जब तक गाय दूध देती है, तब तक पालते हैं फिर उनको छोड़ देते हैं। पूछने पर भी यह नही बताते की यह किस व्यक्ति या गांव की है। चारागाह को भी लोगो के द्वारा हथिया लिया जाता है। सरकारी और कृषि भूमि, घास भूमि का एरिया भी गांवों में रहता है । परंतु कहीं हालत सुधरते क्यों नहीं नजर आ रही। पुरानी कहावत है जिसकी लाठी उसकी भैंस, तो अब भैंस को पकड़े या लाठी प्रश्न कई हैं, जवाब आप ही देंगे। परेशानी सभी की है और हल भी सभी की एक जुटता से निकलेगा।  पुलिस प्रशासन ने भी एक मुहिम चलाकर गांव के मवेशियों को हटाने की पहल की थी कुछ दिनों तक यह क्रम लगातार चलता रहा अब स्थिति वैसी की वैसी है।

हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा पिछले 5 सालों से लगातार आदेश जारी कर रहा

सड़क पर आवारा मवेशी से हो रही दुर्घटनाओं के खिलाफ हाईकोर्ट में अब तक 3 जनहित याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। अब तक की सुनवाई में हाईकोर्ट ने 10 निर्देश दे चुका है। इसके पालन में प्रशासन ने कुछ दिन कार्रवाई की और फिर भूल गया। कोर्ट के आदेश के पालन में प्रशासनिक कार्रवाई का आलम यह है कि हर सड़क पर मवेशी को भटकने के लिए छोड़ा जा रहा है। सड़कों पर मवेशी मिल रहे हैं। जबकि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 फरवरी 2020 को मवेशियों पर नियंत्रण के लिए आमजन से सुझाव मंगाया है। साथ ही राज्य शासन को दो सप्ताह में अखबार में सड़क से मवेशी को उठाया जाएगा और पकड़े गए मवेशियों को छुड़ाने पर जुर्माना लिया जाएगा प्रकाशित करने का आदेश दिया था। इसका पालन भी अब तक नहीं हुआ है। सरकार के दावों की हकीकत जानने दैनिक भास्कर ने शहर के 10 सड़कों का जायजा लिया। बाजार हो या हाईवे, पुराने मोहल्ले हों या कॉलोनी क्षेत्र, शहर में एक भी सड़क ऐसी नहीं थी, जहां मवेशी लोगों के लिए परेशानी की वजह बनकर नहीं बैठे हैं। कहीं चार तो कहीं दो। इसका कारण यह है कि नगर निगम केवल दिखावे की कार्रवाई कर रहा है। कभी पकड़ते भी हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाता है। आलम यह है कि हाईकोर्ट में याचिका लंबित है और हाईकोर्ट के सामने ही मवेशी भटकते दिख रहे हैं। जबकि कोर्ट ने राज्य के सभी नगर निगमों, पालिकाओं और नगर पंचायतों को पक्षकार बनाकर जवाब मांगा था। न तो मवेशी के सींग में कलर, गले में पट्टा और कान में टैगिंग की गई । न ही गायों का रजिस्ट्रेशन हुआ। अधिवक्ता पलाश तिवारी ने बताया कि मुख्य पक्षकारों के अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनी पशु कल्याण मंडल और गौ सोवा आयोग को भी पक्षकार बनाया गया है। अभी तक किसी ने भी जवाब सही से नहीं दिया है।

अंतिम आदेश में कहा अखबार में प्रकाशित कर कार्रवाई करें

9 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने कहा अफसर एसी कमरों से निकलकर बाहर देखें क्या हो रहा है?
4 नवंबर 2015 को कमिश्नर को तलब किए गए तब उन्होंने जवाब दिया मवेशी पकड़े जा रहे हैं।
6 अप्रैल 2016 को दूसरी जनहित याचिका में हादसों का जिक्र हुआ तो प्रशासन ने कहा कि अव्यवस्था दूर कर रहे हैं।
10 अक्टूबर 2016 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि सड़क पर नजर रखें, आवारा मवेशी गौशाला में जाएं।
10 अक्टूबर 2016 को किसानों से मवेशियों को सड़कों व सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ने कहा गया।
11 अक्टूबर 2017 को दोबारा मवेशी को गौशालाओं में रखने व किसानों को वे मवेशी ऐसे नहीं छोड़ने कहा।
11 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाने और बैठक कर समीक्षा करने कहा।
10 अगस्त 2018 को पूर्व सैनिकों की याचिका पर जिम्मेदारों की भूमिका तय करने व सुविधाएं देने कहा।
29 जुलाई 2019 को सरकार ने कहा आदेश का पालन पूरी तरह से करने और अब कहीं भी आवारा पशु नहीं हैं।
27 फरवरी 2020 को कोर्ट ने अखबार में मवेशियों को उठाने और जुर्माना वसूलने के संबंध में छपवाने कहा।
3 जनहित याचिकाएं दायर हुई
अब तक एक्स डिफेंस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन, चिरमिरी के राजकुमार मिश्रा और बिलासपुर के संजय रजक ने जनहित याचिका दायर की है। एक्स डिफेंस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य ने 2011 में सड़कों पर मवेशी का मुद्दा कोर्ट में उठाया, तब राज्य शासन से जवाब मांगने पर नगर निगम ने आवारा मवेशियों को गोकुल नगर में शिफ्ट करने मुहिम तो चलाई, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। इसके बाद भी आज लगभग हर सड़क पर आवारा मवेशियों को भटकते देखा जा सकता है। ऐसे मवेशी रात में सड़क हादसों के शिकार हो रहे हैं।

 

 

ट्राई सिटी एक्सप्रेस, ब्यूरो चीफ बेमेतरा, योगेश कुमार तिवारी, 9425564553, 6265741003,


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