- August 24, 2024
सत्ता थी तो हर कोई अपना, लेकिन जाने के बाद कौन अपना कौन पराया…अब यह सोचना है पूर्व मुख्यमंत्री को
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
दुर्ग
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपेश बघेल ने 23 अगस्त को अपना जन्मदिन हर बार की तरह धूमधाम से मनाया। भिलाई-तीन में पूरे दिन उनके समर्थकों का पहुंचना चलता रहा। इस बीच भूपेश बघेल ने अपने सभी समर्थकों का दिलखोलकर स्वागत, अभिनंदन किया। सभी का आत्मीयता से स्वागत भी किया, लेकिन सत्ता जाने के बाद इस आयोजन के दौरान एक टीस जरूर नजर आई। कुछ ऐसे भी जो समर्थक रहे, जो उनके मुख्यमंत्री रहते हुए हर समय अपना बनने की कोशिश करते रहे, लेकिन उनके मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद ऐसे समर्थकों की कार्यप्रणाली ही बदल गई। पूरे प्रदेश में ही इस प्रकार के नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन हम बात कर रहे हैं कि दुर्ग जिले की, जो भूपेश बघेल का गढ़ है, जहां भूपेश की एक हुंकार पर लाखों कार्यकर्ता आज भी सड़क पर उतरने को तैयार खड़े हैं। ऐसे में दुर्ग जिला मुख्यालय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिन फीका नजर आया। यहां कांग्रेस का नेतृत्व पूर्व विधायक अरुण वोरा, संगठन के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र साहू, महापौर धीरज बाकलीवाल और पूर्व महापौर आरएन वर्मा जैसे नेताओं के जिम्मे है। इन नेताओं के भूपेश बघेल के जन्मदिन पर बधाई संदेश न तो अखबारों में नजर आए, न ही गली, मोहल्ले, चौक-चौराहों पर बैनर, पोस्टर या होर्डिंग्स नजर आए। जबकि भिलाई शहर, भिलाई-चरोदा, पाटन, अहिवारा, धमधा, रिसाली, जामुल, सेलूद में पूर्व मुख्यमंत्री को बधाई देने वालों से अटा पड़ा था। दुर्ग शहर में इन नेताओं के बैनर-पोस्टर, होर्डिंग्स या अखबारों में विज्ञापन खोजने से भी नहीं मिले। बता दें कि भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए दुर्ग के इन नेताओं का कद कभी भी घटने नहीं दिया। हर तरफ से विरोध के बाद भी अरुण वोरा दुर्ग शहर विधानसभा से टिकट दी। जबकि एलआईबी से लेकर अन्य पार्टी की सर्वे रिपोर्ट में वे चुनाव हार रहे थे। वे चुनाव हारे भी, लेकिन भूपेश ने उन पर भरोसा जताया। इसी प्रकार राजेंद्र साहू को उन्होंने लोकसभा चुनाव में टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाई। यहां तक मुख्यमंत्री रहते हुए राजेंद्र साहू हर समय भूपेश बघेल के आसपास नजर आए। बघेल दुर्ग जब भी आते, तो हेलीकाप्टर में उनके साथ आते। कई बार ऐसा देखने को भी मिला। महापौर धीरज बाकलीवाल को भी लगातार उनका समर्थन मिला,जब पार्षद बाकलीवाल के विरोध में थे। उनकी शहर सरकार की कुर्सी खिसकती नजर आ रही थी, तब मुख्यमंत्री ने ही उन्हें सहारा दिया। पूर्व महापौर आरएन वर्मा की राजनीति जब ढल रही थी, कहीं कोई पूछपरख नहीं हो रही थी। तब सत्ता में आने के बाद पहले जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष बनाया। आज पूर्व मुख्यमंत्री का जश्न पूरे प्रदेश में धूमधाम से मना, लेकिन दुर्ग शहर में वीरानी छाई रही। कुछ युवा चेहरों ने जरूर भूपेश बघेल के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन किया। अखबारों में विज्ञापन जारी किया, लेकिन कट्टर समर्थक होने का दंभ भरने वाले पहली पंक्ति के नेता चुप्पी साधे रहे। उन्होंने भूपेश बघेल को जन्मदिन की बधाई जरूर दी। हाजिरी लगाने भिलाई-3 स्थित उनके निवास भी पहुंचे, लेकिन यह सब दिखावे तक ही सीमित रहा।
भूपेश आज राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर के नेता
भूपेश बघेल ने कई मोर्चे पर अपनी राजनीतिक दूरदर्शिता, स्पष्टवादिता को प्रदर्शित किया है। वे तेज तर्रार नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। चाहे उनकी कुरुदडीह जमीन से जु़ड़ा विवाद रहा हो, मनी लॉन्डि्रग या महादेव सट्टा का विवाद रहा हो। सीडी कांड हो या फिर विपक्ष के आरोप, हर विवाद पर उन्होंने अपने बेबाक अंदाज में विरोधियों को जवाब दिया है। बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग के मनवा परिवार में हुआ था। उनके पिता नंद कुमार बघेल सामाजवादी नेता के पहचाने जाते रहे। माता बिंदेश्वरी बघेल गृहिणी रहीं। भूपेश बघेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ, जिससे उन्हें कठिन परिश्रम और साहस विरासत के रूप में मिली। उनकी शादी मुक्तेश्वरी बघेल से हुई. उनका एक बेटा और तीन बेटियां हैं। भूपेश बघेल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में की थी। 1993 में बघेल ने पहली बार पाटन विधानसभा से चुनाव जीता और फिर वहीं से पांचवीं बार चुनकर विधानसभा पहुंचे। भूपेश बघेल 17 दिसंबर 2018 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने रमन सिंह की सरकार को हराकर राज्य में कांग्रेस की वापसी कराई। भूपेश बघेल 3 दिसंबर 2023 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे।