- October 5, 2024
रिकेश सेन का बड़ा बयान, कहा- स्वागत में फूल, माला, बुके फिजूलखर्ची, इसके लिए सूत की माला, रक्षा सूत्र या किताबें देकर सम्मान करें
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
वैशालीनगर विधायक रिकेश सेन चर्चा पर हर समय बने रहते हैं। या यूं कहिए कि वे चर्चा में बने रहने के लिए हर बार कुछ नया प्रयोग करते हैं। ताकि उनकी पूछ-परख जनता के बीच बने रहे, वे सक्रिय नजर आएं। उन्होंने अपने जन्मदिन में उपहार की जगह समर्थकों से छाते और अन्य ऐसे सामान लिए, जो गरीब और जरुरतमंदों के काम आ सकें। उन्होंने मिठाई, फूल मालाओं को लेकर पहले ही मना कर दिया था। हालांकि बाद में उनके अन्य कई तरह के उपहार लिए जाने की खबरें आते रहीं। यहां तक जो उपहार उन्होंने छाते और अन्य जरुरत के सामानों के रूप में लिए, उन्हें आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता, सहायिका, महिला समूह की कार्यकर्ताओं पर दिए। ताकि राजनीतिक या अन्य आयोजनों में इन महिलाओं का समर्थन उन्हें मिल सके। अब रिकेश सेन ने दुर्गा पंडालों के लिए एक नई अपील जारी की है, इसमें उन्होंने सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति और दशहरा उत्सव समितियों से एक अपील की है। उन्होंने कहा कि वैशाली नगर, भिलाई नगर और समीपस्थ विधानसभा अंतर्गत विभिन्न आयोजनों में उन्हें बतौर अतिथि आमंत्रित किया जा रहा है, सभी कार्यक्रमों में शामिल होने का उनका पूरा प्रयास भी होता रहा है मगर उन्होंने देखा कि अनेक आयोजन समितियां विधायक के स्वागत अभिनन्दन में फूल, बुके, प्रतीक चिन्ह सहित अनेक ऐसे खर्च कर रही हैं जो कि फिजुल और अनावश्यक खर्च है। श्री सेन ने कहा कि विभिन्न समितियां और सामाजिक संस्थाएं आपसी कान्ट्रीब्यूशन और चंदा कर आयोजन करती हैं, ऐसे में उनके द्वारा स्वागत सत्कार के लिए फूल माला बुके आदि में एक बड़ी राशि का व्यय होता है जो कि एक तरफ व्यवहारिक दृष्टिकोण से सही हो सकता है मगर सच यही है कि ऐसे स्वागत सत्कार में बुके, प्रतीक चिन्ह आदि का खर्च अनावश्यक और समिति के लिए एक तरह से बोझ है क्योंकि इसी राशि से समिति मानव सहायतार्थ और भी काम कर सकती है जो कि सामाजिक रूप से उपयोगी और जरूरी भी है।
विधायक रिकेश सेन ने उन्हें अतिथि आमंत्रित करने वाली सभी समितियों और आयोजनकर्ताओं से अनुरोध किया है कि स्वागत सत्कार की प्रथा का पालन वो अवश्य करें मगर फूल, माला, बुके, प्रतीक चिन्ह में खर्च करने की बजाय वो स्वागत स्वरूप सूत की माला, रक्षा सूत्र और प्रतिक चिन्ह के रूप में पुस्तकें जो कि धार्मिक, महापुरुषों की जीवनी, महापुरुषों के संदेश, प्रेरक कथा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वीर गाथा अथवा रोपण किए जाने वाले पौधे आदि हो सकते हैं। ऐसी भी वस्तुएं जो कि मानव सेवा और जरूरतमंद के काम आएं। श्री सेन ने कहा कि अमूमन फूल बुके सूख कर बेकार हो फेंके जाते हैं, प्रतीक चिन्ह भी मानव सेवार्थ किसी काम का नहीं होता। उन्होंने कहा कि आगामी सभी आयोजन में मुझे आमंत्रित करने वाली आयोजन समितियां इस विषय पर मेरी अपील को अवश्य मानेंगी ऐसा मुझे विश्वास है।