• December 27, 2024

बेरला बेमेतरा में चल रहा राजधानी के भूमाफियाओं के संग पंजीयन विभाग के अधिकारियों का अंधा खेल

बेरला बेमेतरा में चल रहा राजधानी के भूमाफियाओं के संग पंजीयन विभाग के अधिकारियों का अंधा खेल

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

बेरला।

भूमि माफियाओं और उप पंजीयक की मिलीभगत के चलते एक बड़ा स्टाम्प चोरी मामला सामने आया है, जिसमें जमीन की गलत रजिस्ट्री कर, स्टाम्प और पंजीयन शुल्क की भारी चोरी की गई है। इस गोरखधंधे में कुछ भूमाफिया व्यक्तियों ने अवैध तरीके से जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए उप पंजीयक को रिश्वत दी और इसके बदले फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।

सूत्रों के अनुसार, इन भूमाफियाओं ने जमीन की रजिस्ट्री के लिए सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन दरों पर स्टाम्प ड्यूटी चुकाने की बजाय, गलत तरीके से दस्तावेजों में हेर फेर कर पटवारी से मिलीभगत कर रोड किनारे की जमीन को टुकड़े में अंदर की जमीन दर्शा कर रजिस्ट्री करवा कर स्टाम्प की और पंजीयन शुल्क की चोरी की गयी है। यह धोखाधड़ी उस समय सामने आई जब राजस्व विभाग द्वारा जांच की गई और पाया गया कि कई रजिस्ट्री में स्टाम्प शुल्क की राशि गलत तरीके से कम दिखायी गई थी।

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस धोखाधड़ी के जरिए लाखों रुपये की चोरी की गई है। आरोपी उप पंजीयक और भूमाफियाओं के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में कुछ संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं, जिनमें जमीन की वास्तविक कीमत से बहुत कम मूल्य पर स्टाम्प शुल्क लगाया गया था।

ज्ञात हो कि, यह मामले में कई फ़र्ज़ी दस्तखत की जानकर भी सामने आ रही है। बेरला ब्लॉक में ही देवरबीजा के समीप ग्राम डंगनिया की लगभग 4 एकड़ जमीन को कुरुद भिलाई निवासी किसान के द्वारा दुर्ग के ही किसी व्यक्ति से पहले सौदा किया गया जिसे रायपुर राजधानी के किसी मिलिंद अग्रवाल स्वयंभू भूमाफिया के द्वारा भिलाई के किसान से से मिलीभगत कर पहले तो करोड़ों की कीमत पर ज़मीन बिक्री किया गया फिर फ़र्ज़ी एवं जाली दस्तावेज तैयार कर पटवारी से मुख्य मार्ग पर स्थित जमीन को अंदर दर्शित करवा कर 3.75 एकड़ मात्र 15 लाख की कीमत दर्शा के पंजीयन में लाखों की स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क की चोरी कर राजधानी के ही निवासी उप पंजीयक बेरला के साथ मिल कर शासन के राजस्व को गंभीर हानि पहुँचाया गया है। अधिकारियों के इन काले कारनामे का स्पष्ट सबूत तो उप पंजीयक कार्यालय में कार्यरत इनका व्यक्तिगत सेवादार रमेश सोनी है जिसकी हैसियत पंजीयन विभाग के नियमित कर्मचारियों से भी ज्यादा है, हो भी क्यों न आखिर अधिकारियों की सच्ची सेवा (रकम की लेनदेन) आप स्वयं ही करते हैं तथा शासन के राजस्व को चुना लगाकर भूमाफियाओं से मिलीभगत कर अपनी और अधिकारियों की जेब अलमारी भरने का कार्य जो कर रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये, ताकि भविष्य में इस तरह के गोरखधंधे पर रोक लगाई जा सके। वहीं, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और आम जनता को धोखा देने वालों को सजा मिले।

यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता की कितनी आवश्यकता है, ताकि इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर काबू पाया जा सके और कानून का शासन सुनिश्चित हो सके।


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