- January 16, 2025
पत्रकारिता की चलती फिरती पाठशाला थे दाऊजी डोमार सिंह चंद्राकर
ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज
संतोष मिश्रा
वरिष्ठ पत्रकार स्व. डोमार सिंह चन्द्राकर अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी जुड़ी यादें हमारे साथ हमेशा रहेंगी। सरल, सहज और स्पष्टवादी स्व. डोमार सिंह चन्द्राकर ने पांच दशकों तक कलम के सजग सिपाही के रुप में विभिन्न समाचार पत्रों में अपनी सेवाएं दी। मेरी उनकी पहली मुलाकात मेरे चाचा स्व दिनेश मिश्रा के दफ्तर में हुई थी जब मेरे चाचा दैनिक चिंतक छोड़कर अपना अखबार शुरू किए थे। उनके अखबार दैनिक करार में स्व. डोमार सिंह चन्द्राकर सिटी रिपोर्टर के पद पर नियुक्त हुए थे। उस समय मे पढ़ाई कर रहा था और अपना खाली समय दैनिक करार प्रेस में बताता था। इस तरह छात्र जीवन से ही मैने पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण कर लिया था। उस समय पत्रकारिता का ककहरा सीखाने वाले गुरुजनों में एक थे स्व डोमार सिंह चन्द्राकर जिन्हें हम सब दाऊजी कहा करते थे। उनसे मैने काफी कुछ सीखा। यदि यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दाऊजी अपने आप में पत्रकारिता की चलती फिरती पाठशाला थे। प्रशिक्षु पत्रकारों को प्रोत्साहित करते थे। दाऊजी से मेरे आत्मीय संबंध अंत तक बने रहे। यद्यपि कुछ साल पूर्व वे स्वास्थ्यगत कारणों से पत्रकारिता के क्षेत्र से सेवानिवृत्त हो गए थे लेकिन मेरा उनसे सतत संपर्क बना रहा। उनका सूचना तंत्र बेहद मजबूत रहा है। उनके पास सूचनाओं का भंडार था जो अक्सर मेरे भी काम आता था। दाऊजी का यूं हम सबको छोड़ कर जाना मेरे लिए व्यक्तिगत भारी क्षति है। परमात्मा उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे। अंत में दाऊजी के लिए श्रद्धा सुमन के रुप में यही कहूंगा कि – हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती रही, बड़ी मुश्किल से हो तुम है चमन में दीदावर पैदा।