• January 30, 2025

त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को महापौर चुनाव में मिलती रही है जीत पहली बार होगा सीधा मुकाबला, जातीय समीकरण का रहेगा रोल

त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को महापौर चुनाव में मिलती रही है जीत पहली बार होगा सीधा मुकाबला, जातीय समीकरण का रहेगा रोल

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

दुर्ग। निगम महापौर के सीधे मतदान के जरिए होने वाले चुनाव में अभी तक भाजपा को त्रिकोणिय मुकाबले में जीत मिलती रही है। इस बार यह पहला अवसर है जब भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होगा। निगम महापौर के दोनों दलों के प्रत्याशियों के अलग-अलग समाज से जुड़े रहने के कारण जातीय समीकरण के वोटो की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। इस चुनाव में भाजपा अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल करने अमादा है वही कांग्रेस अपने कब्जे की परंपरा को बरकरार रखने के लिए आतुर नजर आ रही है।
यहां गौरतलब है कि पहली बार सीधे मतदान से हुए चुनाव में भाजपा से सरोज पांडे ने जीत हासिल की थी। उन्हें कांग्रेस के साथ निर्दलीय प्रत्याशी शैलेजा पान्डे से भी जूझना पड़ा था। इसके बाद अगले चुनाव में भाजपा से डा.शिव कुमार तमेर महापौर निर्वाचित हुए। उन्हें भी कांगे्रस के साथ छत्तीसगढ स्वाभिमान मंच के प्रत्याशी राजेन्द्र साहू से कड़ा मुकाबला करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शंकर लाल ताम्रकार तीसरे नंबर पर रहे थे। उसके बाद हुए चुनाव में भाजपा से चंद्रिका चंद्राकर महापौर निर्वाचित हुई। उन्हें भी त्रिकोणी मुकाबले में दीपा मध्यानी से कड़ी चुनौती मिली थी। लेकिन अब होने जा रहे चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अल्का बाघमार और कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमलता पोषण साहू आमने-सामने है।
जाने भाजपा व कांग्रेस संगठन की ताकत
कांग्रेस और भाजपा की सांगठनिक ताकत का विश्लेषण करे तो पता चलता है कि इसमें भाजपा कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। तैयारी के मामले में भी भाजपा कांग्रेस से आगे चलती नजर आई। इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस कमजोर है बिखराव के कारण कांग्रेस की ताकत मजबूत नहीं हो पा रही है। भाजपा के संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है। काम करने वाले लोगों को जिम्मेदारी दी जा रही है। वहीं कांगे्रस दो दशक से अधिक समय से एक ही पदों पर अपने पदाधिकारियों को संगठन में बिठाए रखा है। यही कारण कांग्रेस में पैदा हुए बिखराव की वजह है। यदि कांग्रेस स्वयं को एकजुट करने में सफल हुई तो मुकाबला रोचक व दिलचस्प हो सकता है। भाजपा का संगठन मजबूती के साथ मैदान में है।
जातीय समीकरण की भूमिका रहेगी महत्वपूर्ण
कांग्रेस भाजपा दोनों के महापौर प्रत्याशियों में भाजपा की अल्का बाघमार कुर्मी समाज से ताल्लुक रखती है और सांसद विजय की रिश्तेदार होने के साथ साथ उनके भाई संजय बघेल की साली है। दुर्ग में सर्वाधिक मतदाताओं के मामले में कुर्मी समाज दूसरे नंबर पर है। यादव समाज के विधायक गजेन्द्र यादव है। यादव समाज भी भाजपा के साथ है। प्रदेश में भाजपा की सरकार भी प्लस प्वांइट है। इसके अतिरिक्त महतारी वंदन योजना के कारण महिलॉए भी भाजपा से जुड़ी है। वहीं साहू समाज का प्रतिनिधित्व कर रही प्रेमलता पोषण साहू कांगे्रस की प्रत्याशी है। दुर्ग में सर्वाधिक साहू समाज के लगभग 41 हजार मतदाता है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 21 हजार के आस पास है। 8 से 9 हजार इसाई समाज के मतदाता है। दलित समाज के 17 हजार वोट है। यदि कांग्रेस इन्हें साधने में सफल हो जाती है तो मुकाबला कड़ा हो सकता है। वैसे कुर्मी व साहू समाज में मतदाता कांग्रेस व भाजपा में विभाजित हो सकते है। मुकाबला जोरदार होने के पूरे आसार है।


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