- February 26, 2025
शिवनाथ नदी के तटों से धड़ल्ले से चुराई जा रही रेत, माफियाओं का कहना है दम में तो कोई रोक के दिखाए, सबको पहुंचाते हैं पैसा

ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
दुर्ग
दुर्ग जिले की जीवनदायिनी नदी शिवनाथ से इन दिनों में धड़ल्ले से बेखौफ होकर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण के यह खेले पिछले कुछ दिनों से तेजी से फलफूल रहा है। रेत का खनन कराने वाले माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद है कि उनका कहना है कि हे किसी में दम जो हमारा काम रुकवा दें, हमारे पास से सबसे पैसा जा रहा है। बता दें कि शिवनाथ नदी के भरदा से लेकर चंगोरी, बिरझर, पीसेगांव, पीपरछेड़, नगपुरा, कोटनी, कोडि़या से लेकर आगे धमधा के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों से रेत निकाली जा रही है। इसे लेकर खनिज विभाग की कहीं कोई मॉनिटरिंग नहीं है। जिले के धमधा ब्लॉक के ननकट्ठी गांव से लगी शिवनाथ नदी के घाट में तो नियम विरुद्ध चैन माउंटेन और जेसीबी तक उतार दी गई है। रेत माफिया ने ननकट्ठी से बोरी को जोड़ने वाले बड़े ब्रिज से 100 मीटर की दूरी पर ही हजारों हाइवा रेत का खनन कर डाला है। इस मामले में नव-निर्वाचित सरपंच सुशील साहू ने आपत्ति भी की है। बता दें कि ननकट्ठी ग्राम पंचायत के अंतर्गत बोरी जाने वाले मार्ग में शिवनाथ नदी पर 100 मीटर से अधिक लंबा ब्रिज बना है। NGT की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी ब्रिज से 300 से 500 मीटर की दूरी पर रेत खनन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर ब्रिज के पिलर कमजोर हो जाते हैं और उससे ब्रिज के गिरने का खतरा बढ़ जाता है। पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव के दौरान आचार संहिता का फायदा उठाते हुए इन माफियाओं ने जमकर चांदी काटी। पुलिस और प्रशानिक महकमें के निचले अधिकारियों से सेटिंग कर धड़ल्ले से रात के समय रेत का खनन और परिवहन किया। सारी आपत्तियां दरकिनार कर दी गईं। ग्रामीणों ने बताया कि नदी से दिन रात रेत निकाली गई। जो रेत बिक गई उसे बेचा गया और बाकी रेत को खेतों में लेजाकर डंप कर दिया गया। अब उसे धीरे-धीरे महंगे दाम में बेचा जा रहा है।
रेत ढुलाई करने में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लिए रेत माफिया ने बाकायदा चेन माउंटेन मिट्टी को खोदकर घाट तक चौड़ी कच्ची सड़क बना डाली है। 30-40 फीट चौड़ी कच्ची सड़क बना दी है। ताकि आराम से ट्रक लेकर घाट तक पहुंचा जा सके। शिवनाथ नदी से दिन रात रेत की खुदाई करने से वहां पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। कुछ गड्ढों में नदी का पानी भर गया है तो कुछ अभी भी खुदे पड़े हैं। बारिश के दिनो में ब्रिज के कालम के पास की रेत कटकर इन गड्ढों में भरेगी। इससे ब्रिज की पाइल की रेत खिसकेगी। पिलर और कॉलम कमजोर होने लगेंगे। बारिश के बाद लगभग सभी घाट एक बार फिर शुरू हो गए हैं, जहां से रेत का उत्खनन शुरू कर दिया गया है। रायल्टी को लेकर कहीं कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं होने की वजह से माफिया और रेत दलाल ज्यादा रेत का उत्खनन कर रहे हैं।