- December 2, 2022
ऊंचा बनने के बाद ऊंचे विवेक से निर्णय करो : आचार्य विशुद्ध सागर
ट्राइसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
ऊंचा बनने के बाद ऊंचे विवेक से निर्णय करो : आचार्य विशुद्ध साग
आचार्य विशुद्ध सागर ने कहा कि दया की एक सीमा होती है और करूणा की भी एक सीमा होती है। संतुलन कसाय के साथ तुम कैसा व्यवहार करते हो इसका निर्णय करना चाहिए। ज्ञान की ओर जाने से कसाय का शासन समाप्त हो जाता है।
दिगम्बर जैन खंडेलवाल भवन में प्रवचन के दौरान आचार्य ने कहा कि किसी की आलोचना निन्दा व झूठी स्तुति नहीं करनी चाहिए। ये बंध के कारण है। ऊंचा बनने के बाद ऊंचे विवेक से निर्णय करो। प्रत्येक वस्तु अपनी प्रगति में चल रही है। पुण्य व पाप के हिसाब से जीवन बनता है। गुरू के पास आए है तो उनसे प्रशंस की अपेक्षा न करें। गुरू का आषीर्वाद ही प्रशंसा है। दूसरों को प्रसन्न करने की बजाय अपने आपको खुश रखो। ज्ञानी किसी की निन्दा नहीं करते राग द्वेष से रहित होकर प्रशंसा भी नहीं करते। दिन में खाना है और दिन में जीना है रात में नहीं जीना चाहिए। इसलिए प्रकाश में जीयो और प्रकाश में खाओ। आचार्य जी ने गुरूवार को बाबूलाल संतोष कुमार सुरेश कुमार विजय जैन जय श्री आईल परिवार के साथ आहार चर्या की। प्रवचन के दौरान महावीर गंगवाल, जीतेन्द्र पाटनी, मनीष बड़जात्या, पथ प्रकाष गोधा, राकेष सेठी, राहुल जैन, नरेन्द्र जैन, रतन पाटनी, प्रदीप बाकलीवाल, सुनील गंगवाल, धर्मचंद काला, प्रवीण बड़जात्या, मनीष बाकलीवाल, दीपक लुहाड़िया, अक्षय जैन, विजय जैन, संतोष जैन अजय बोहरा सहित अनेक धर्मप्रेमी मौजूद थे।