- December 2, 2022
गाजे-बाजे के बीच आचार्य विशुद्ध सागर पदविहार कर पहुंचे नसिया तीर्थ, दिव्य प्रवचन की हुई शुरुआत
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
शुक्रवार की सुबह 7 बजे दिगम्बर जैन खंडेलवाल भवन से नसिया तीर्थ के लिए भव्य शोभा यात्रा निकली। बाजे गाजे के साथ आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज का ससंघ नसिया तीर्थ में मंगल प्रवेश हुआ। मंगल प्रवेश के बाद दिनेश सर्वेश अखिलेष पाटनी परिवार कोलकाता ने ध्वजारोहण किया। इसके पश्चात् शकुन्तला विपिन सीमा देवेश, सिद्धान्त कासलीवाल परिवार नांदेड़ ने मंडप का उद्घाटन किया। इसके बाद पिच्छी परिवर्तन में सुयष सागर की पिच्छी ज्ञानचंद व अभिषेक पाटनी परिवार, सद्भाव सागर की पिच्छी सुरेन्द्र कुमार, संदीप पिन्की लुहाड़िया व श्रृत सागर की पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य महावीर प्रसाद दीपक आकाष बड़जात्या को प्राप्त हुआ। समारोह में अतिथि के रूप में महापौर धीरज बाकलीवाल, अपोलो कॉलेज के डायरेक्टर मनीष जैन, अरविन्द जैन, महावीर पाटनी, किशोर बड़जात्या नायसा महाराष्ट्र नांदेड़ इरफाल सुकमा, गुवाहाटी सहित अन्य जगहों से आए धर्म अनुयायी मौजूद थे।
मंच का संचालन जितेन्द्र पाटनी ने किया। प्रतिष्ठाचार्य के रूप में अजित कुमार जैन ग्वालियर सहप्रतिष्ठाचार्य के रूप में सम्मेद अजीत कोल्हापुर संजय सरस बैतुल उपस्थित थे। अपने दिव्य प्रवचन में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि अपने जीवन में जितनी भी मंत्र सिद्धि व साधना की हो उसे नसिया तीर्थ में अर्पित कर दो। पूरे देश में नसिया तीर्थ की चर्चा हो रही है। भू-मंडल जयवंत हो रहा है। जिन लोगों ने मिलकर नसिया तीर्थ का निर्माण किया है उनका अंदर से सम्मान करो। दुर्ग के शिवनाथ नदी तट स्थित नसिया तीर्थ में मंगल प्रवेश के बाद आचार्य ने कहा कि पशु पक्षी कीड़े-मकोड़े, चीटी व मधुमक्खी अपना घर बना सकते हैं लेकिन मंदिर का निर्माण नहीं कर सकते। मनुष्य ही मंदिर बनाना जानता है। एक वह भूमि है जहां संडास बन रहे है और एक यह भूमि है जहां तीनों लोकों के नाथ का जिनालय बना है। उन्होंने कहा कि सुन्दर जगह पर नसिया तीर्थ का निर्माण हुआ है। इसके आगे मुक्ति का धाम है मोक्ष की ओर जाने का धाम है। जब यहां से भीड़ निकलेगी तब तीन लोकों के नाथ से होकर निकलेगी दुर्ग के लोगों पर भी तीन लोकों के नाथ की कृपा बरसेगी। इस धरती पर जितने भी जीव है पहले उनका सत्कार करें। पुण्यात्मा के सिर पर तीनों लोकों के नाथ होते है। आचार्य ने कहा कि दुर्लभ से दुर्लभ पुण्य का संग्रह किया है इसीलिए जैन कुल मिला है। यह पुण्य का उदय है। जीवन का अहोभाग्य मानो कि नसिया तीर्थ का विचार किया और उसका निर्माण कर लिया। पंच लोक के सामने भाव पैदा करे भगवान एक बार मनुष्य बन जाऊँ तो भगवान बनकर ही मानूंगा। पुरूष बनने के लिए परमात्मा बनने की इच्छा रखे। पंच कल्याण प्रतिष्ठा महामहोत्सव तक विषय व कसाय से दूर रहे। आचार्य विषुद्ध सागर का यह 121 वां पंच कल्याणक महोत्सव है।
इससे पहले राकेश छाबड़ा, सजल काला, संदीप लुहाड़िया, ज्ञानचंद पाटनी, सुनील गंगवाल, मनीष बड़जात्या, नरेन्द्र जैन पलास पाटनी, राकेश सेठी, राहुल जैन, रतन पाटनी, सुरेन्द्र पाटनी, मनीष बाकलीवाल, राजेन्द्र पाटनी आदि ने कार्यक्रम के संचालन में योगदान दिया। वे प्रमुख रूप से मौजूद रहे।