- December 9, 2022
नसिया तीर्थ में नियमित हो पूजा व स्वाध्याय: आचार्य विशुद्ध सागर
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
पाषाण बने भगवान, पंच कल्याणक महामहोत्सव का समापन
आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज ने कहा वो जीव धन्य है जो अपने आवरण विचार और शरीर को विशुद्ध रखते है। शिवनाथ तट पर नसिया तीर्थ का सुन्दर निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि मंदिर में पूजा व प्रवचन नियमित होना चाहिए। जिस मंदिर के कपाट बंद रहते है वहॉ कबूतर आते है और जिस मंदिर के कपाट खुले रहते है वहां देव आते है।
मोक्ष कल्याणक के दिन आचार्य ने कहा कि बड़े पुण्य के कारण ही आप सब लोगों को पंच कल्याणक महामहोत्सव में शामिल होने का अवसर मिला है। उन्होंने नसिया तीर्थ के निर्माण में योगदान देने वाले सभी लोगों को मंगलाशीष व आशीर्वाद दिया। आचार्य ने विभिन्न प्रांत से आए लोगों से वर्ष में एक बार चंद्रप्रभ भगवान का दर्शन करने नसिया तीर्थ में आने का आहृवान किया और स्थानीय लोगों से प्रतिदिन मंदिर आकर पॉच मिनट का स्वाध्याय करने के लिए कहा। आचार्य ने कहा कि जहां स्वाध्याय होता है वहीं देव आते है। भक्ति करोगे तो भगवान अपने आप आएंगे। उन्होंने कहा कि तुम मुनि बनो या न बनो लेकिन मुनि की महिमा को समझो। व्यक्ति मूलाचार नहीं है संत मूलाचार है। मूलाचार में जियोगे तो भगवान बन जाओंगे। आचार्य ने आगे कहा कि मांस खाना महापाप है। अरिहंत रामकृष्ण व हनुमान के भक्त मांस का सेवन नहीं करते हमेषा शाकाहार व सात्विक भोजन करे। घर की रसोई सीता की रसोई की तरह होनी चाहिए। जो मुनि के अवशेष भोजन को भोगता है वह स्वर्ग को प्राप्त करता है। भगवान की भक्ति करते रहो।
भगवान का हुआ मंगल अभिषेक
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के अंतिम दिन आचार्य विषुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य में 1008 श्री चंद्रप्रभ भगवान श्री पारसनाथ भगवान व श्री मुनि सुव्रत नाथ भगवान के साथ मान स्तंभ में भव्य प्रतिमाओं का मंगल अभिषेक व विष्वषांति महायज्ञ का आयोजन किया गया। मोक्ष कल्याणक दिन नित्य महाभिषेक व शांतिधारा पूजन के बाद सुबह 7.40 बजे नवप्रभात की नई किरण के साथ भगवान आदिनाथ को कैलाष पर्वत से निर्वाण प्राप्ति अग्नि कुमार देवों द्वारा नखकेष संस्कार का कार्यक्रम हुआ। इसके बाद महामस्ताभिषेक एवं रथ प्रदक्षिणा एवं विसर्जन किया गया। शांति धारा के पुण्यार्जक प्रकाषचंद प्रदीप बाकलीवाल बने। अग्नि कुमार देव बनने का सौभाग्य कमल विनोद पाटनी नरेन्द्र मनोज ठोलया प्राप्त हुआ। चंद्रप्रभ भगवान का का अभिषेक गुमान मल सुनील अनिल गोधा ने किया। मुनि सुव्रत भगवान का अभिषेक भागचंद संजय पाटनी ने किया। पार्ष्वनाथ भगवान का अभिषेक चंद्रकुमार नरेश बाकलीवाल ने किया। चंद्रप्रभ भगवान के शांतिधारा के पुण्यार्जक देवेन्द्र जी सजल जी काला व दीपचंद भरत गोधा बने। मुनि सुव्रत नाथ भगवान के शांतिधारा के पुण्यार्जक सुयष सोहम परिवार मूलचंद बलदेव परिवार व पार्ष्वनाथ भगवान के शांतिधारा के पुण्यार्जक मदन लाल महेन्द्र गजेन्द्र पाटनी सन्नी पाटनी बने। तीनों ध्वजारोहण रतनलाल दिनेष पाटनी वैशालीनगर ने किया। कार्यक्रम के समापन के बाद आचार्य अपने संघ के साथ राजनांदगांव विहार पर निकल गये, उन्होंने रात्रि में अपोलो कालेज में विश्राम किया।
इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में नगर निगम दुर्ग के सभापति राजेश यादव, अक्षय जैन, महेंद्र पाटनी, सजल काला, नवीन बड़जात्या, राकेश छाबड़ा धर्मचंद काला संदीप लुहाड़िया सुरेन्द्र पाटनी,अभिषेक पाटनी, अनिल गोधा ज्ञानचंद पाटनी, मनोज बाकलीवाल, पंकज छाबड़ा, दिलीप बाकलीवाल, महावीर गंगवाल, कजोड़मल, किषोर कुमार बड़जात्या टीकम बाकलीवाल,प्रषांत जैन, प्रवीण बड़जात्या ज्ञानचंद गंगवाल, संदीप पटौदी, दीपक लुहाड़िया,प्रदीप बाकलीवाल, अमोल गोधा, आषीष जैन, शिखरचंद जैन, मनीष बड़जात्या, सुनील गंगवाल सहित भारी संख्या में देष विभिन्न प्रांतों से धर्मप्रेमी मौजूद थे।