- December 25, 2022
वैश्विक भाषा अंग्रेजी में हमारे बच्चे पीछे न रह जाएं इसलिए यह जरूरी, विवेकानंद और राजा राममोहन राय ने भी अंग्रेजी शिक्षा की बात कही :भूपेश बघेल
ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज
दुर्ग। केंद्र सरकार जहां वैश्विक स्तर पर हिंदी को प्रमोट कर रही है। मेडिकल कॉलेज में हिंदी के डिग्री कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। एमपी से इसकी शुरुआत की जा चुकी है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अंग्रेजी विषय का ज्ञान जरूरी है। पहले भी हमारे बच्चे इस अंग्रेजी में पीछे न रह जाएं इसलिए विवेकानंद और राजा राममोहन राय ने इसकी शिक्षा पर जोर दिया था। इधर कई मंचों पर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के कई नेता यह कह चुके हैं कि हमने अपनी मातृभाषा हिंदी को पीछे छोड़ अंग्रेजी को ज्यादा महत्व दिया। इस वजह से हमारे देश के बहुत से युवा प्रतिभावान होने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाए। चीन, जापान, रूस जैसे देशों ने अपनी मातृभाषा का उपयोग किया और आगे बढ़े। अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देश भी अपनी मातृभाषा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। केवल हिंदुस्तान में ही अंग्रेजी को ज्यादा महत्व दिया गया। केंद्र ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी शुरू कराने का निर्णय लिया है। जल्द इसे छत्तीसगढ़ में लागू किया जाना है। इस वजह से बघेल के इस बयान के बाद हिंदी और अंग्रेजी विषय को लेकर नई बहस खड़ी हो गई है। बघेल ने पाटन के देमार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा की अधोसंरचना मजबूत हुई है। इसे और बढ़ाएंगे, नये मेडिकल कालेज आरंभ करेंगे। हमने आईटीआई के माध्यम से नये ट्रेड्स में कौशल विकास का निर्णय भी किया है और इसके लिए कार्य आरंभ कर दिया है। शिक्षा की मजबूती से ही समाज की मजबूती होती है। यह हम प्राथमिकता से कर रहे हैं। यह बात मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गुरु घासीदास जी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि विवेकानंद और राजा राममोहन राय जैसे मनीषियों ने देश में विज्ञान की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए अंग्रेजी शिक्षा की बात कही क्योंकि विज्ञान की अधिकतर बातें अंग्रेजी में थीं। हमारे बच्चे भी वैश्विक भाषा से पीछे नहीं रह जाएं, वैज्ञानिक शब्दावली उन्हें आसानी से समझ आये, इसके लिए हमारे बच्चों को अंग्रेजी का ज्ञान भी जरूरी है। इसके लिए हमने इसके लिए भी अधोसंरचना तैयार की। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही छत्तीसगढ़ी भी पढ़ाई जा रही है ताकि गुरु घासीदास जी जैसे हमारे गुरुओं की वाणी भी हम संजोकर रख सकें और उस पर चल सकें। हमारे संस्कृत ग्रंथ भी अमूल्य जानकारी से और विचारों से भरे हैं इसके लिए संस्कृत की पढ़ाई भी करा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी परंपरा में बहुत से विचार हैं वैदिक ऋषियों ने अपने विचार दिये, बुद्ध आये, शंकराचार्य आये। फिर भक्ति आंदोलन आये। भक्ति काल के विचारकों ने अपने आचार को इतना उन्नत किया कि लोग गुरु को ईश्वर के तुल्य भी कहने लगे। भारत में अनेक मान्यताएं हैं और सबका सम्मान है। सगुण भक्ति धारा भी है और निर्गुण भी। छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास ने मनखे मनखे एक समान का विचार रखा। उन्होंने कहा कि बाबा जी ने समानता का विचार रखा। चूंकि हम सबमें ईश्वर का ही अंश है इसलिए बाबा जी ने मनखे-मनखे एक समान का उद्घोष किया। बाबा जी ने कहा कि अपने को किसी से नीचा नहीं समझना चाहिए और न ही ऊपर। इसलिए हम सब एक हैं। छत्तीसगढ़ में उन्हें गुरु कहा जाता है जो जीवन जीने की कला सिखाये, जो हमें सदमार्ग पर ले जाए। गुरु वो हैं जो अंधकार से प्रकाश में ले जाएं और हमें सही रास्ता दिखाये। इसलिए आज 250 साल बाद भी बाबा जी के विचार हमें रास्ता दिखा रहे हैं। उनके रास्ते पर जाने का मतलब है कि हमें अपनी सामाजिक कुरीतियों को पूरी तरह त्यागना होगा। छत्तीसगढ़ में हमें गुरु घासीदास ने रास्ता दिखाया है।
बाबा जी ने जो सेवा का मार्ग दिखाया है। उस पर हम चल रहे हैं। हमारे बच्चे सुपोषित हों, इसके लिए हम कार्य कर रहे हैं। हाटबाजार क्लीनिक के माध्यम से हम गांव-गांव पहुंचकर लोगों का उपचार कर रहे हैं। गंभीर बीमारियों के लिए हम मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना से इलाज करा रहे हैं। पाटन में शिक्षा का खूब आंदोलन हुआ है और हर गांव में स्कूल हैं। शिक्षा पर ध्यान देने की वजह से क्षेत्र लाभान्वित हुआ है। इस ज्योत को जलाये रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने ग्रामीण विकास और किसानों के लिए जो योजनाएं लाई हैं उसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे प्रदेश में 21 गोबर पेंट बनाने की यूनिट काम कर रही हैं और इसे स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। इस मौके पर पूर्व विधायक प्रदीप चौबे, मुख्यमंत्री के ओएसडी आशीष वर्मा एवं अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।