- May 1, 2024
पिछली सरकार में जिस जीपी सिंह को दागी बताकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अनुशंसा की, उन्हें सरकार बदलते ही बहाल करने के निर्देश…देखिए पूरी खबर
ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज
राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले में कैट का फैसला आया है। रिटायर किए गए एडीजी और पुलिस महकमे के बड़े अफसर जीपी सिंह को बहाल किए जाने का आदेश जारी हुआ है। खबर बड़ी है, इसलिए इसकी चर्चा भी छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक हो रही है। ऐन लोकसभा चुनाव के पहले कैट के इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में भी खलबली मचा दी है। छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईपीएस अफसर एडीजी जीपी सिंह को कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिल गई है। कैट ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही शासन को आदेश दिया है कि चार सप्ताह के भीतर सिंह से जुड़े सभी मामलों को निपटाते हुए बहाल करें। राज्य में सरकार बदलते ही तेजी से घटनाक्रम बदले और जीपी सिंह को बड़ी राहत मिली।
राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी थी सेवानिवृत्ति
राजद्रोह, आय से अधिक संपत्ति और ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज होने के बाद 20 जुलाई 2023 को तत्कालीन राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। इस फैसले को सिंह ने कैट में चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि उनकी नौकरी अच्छी रही है। उन्हें नौकरी में 8.5 से ज्यादा की रेटिंग मिली है। इससे कम रेटिंग कभी नहीं रही है। कई जीपी सिंह सम्मान और अवार्ड भी मिले। हैं। बिलासपुर एसएसपी राहुल शर्मा की खुदकुशी के मामले में भी उनका नाम घसीटा गया था। इसकी सीबीआई ने जांच की। इसमें 200 लोगों की गवाही हुई। इस मामले में भी उन्हें क्लीनचिट मिल चुकी है।
जुलाई 2021 में दर्ज किया गया था केस, फिर गिरफ्तार
आईपीएस सिंह पर एसीबी ईओडब्ल्यू ने 29 जून 2021 को मणि भूषण की शिकायत पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया। उसके बाद 1 जुलाई को उनके आवास पर छापेमारी की गई। तीन दिनों तक जांच चली। उनके घर से दो किलो सोना और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त करने का दावा किया गया। इस छापे के बाद रायपुर पुलिस ने 8 जुलाई को सिंह के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया। उनके खिलाफ तीसरी एफआईआर 28 जुलाई को ब्लैकमेलिंग के आरोप में दर्ज की गई। उसके बाद ईओडब्ल्यू ने 11 जनवरी 2022 को उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार किया। 14 मई को उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली। फिर उन्हें 20 जुलाई 2023 को रिटायर कर दिया गया था।
गवाह का पलटने से पूरे केस का रुख बदल गया
मामले का टर्निंग पॉइंट गवाह का पलटना रहा। कैट में मुख्य गवाह मणिभूषण का शपथपत्र पेश किया गया। उसने कोर्ट में गवाही दी है कि सिंह को मनगढ़ंत केस बनाकर फंसाया गया है। फर्जी सबूत गढ़े गए हैं। उनके घर से सोना जब्त नहीं किया गया। आपत्तिजनक दस्तावेज ईओडब्ल्यू और एसीबी वाले लेकर आए थे। गवाह ने कहा कि मुझे धमकी दी गई कि मैंने झूठी शिकायत दर्ज नहीं कराई, तो नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के केस में फंसा दिया जाएगा। तब मैंने झूठी शिकायत की थी। इस आधार पर कैट का फैसला आया।
वर्तमान में भाजपा की सरकार, राहत मिलना तय
जीपी सिंह पर जब जांच बैठी और एफआईआर हुए। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सरकार है। ऐसे में माना जा रहा है कि कैट के इस फैसले को उच्च अदालतों में चैलेंज किए जाने की संभावना कम है। यदि ऐसा हुआ तो कैट का आदेश छत्तीसगढ़ सरकार के लिए बाध्यकारी हो जायेगे। इसके साथ ही जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ हो जाएगा। फिलहाल कैट ने चार हफ्तों का समय राज्य सरकार को दिया है।