- June 9, 2024
व्यापारी जनता को लूट रहे, कालाबाजारी कर रहे और अफसर एसी का हवा खा रहे, कुर्सी पर आराम फरमा रहे… इधर राहर दाल की कीमत 180 रुपए के पार, राशन दुकानों से पीडीएस का चावल बिक रहा
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
महंगाई के इस दौर में लोगों का घर चलाना मुश्किल हो रहा है। चावल-दाल-सब्जी जैसी रोजमर्रा की चीजें भी उनकी पहुंच से दूर हो रही हैं। पिछले कुछ दिनों में राहर दाल की कीमत ने एकदम से उछाल मारा है। 120 रुपए में बिकने वाली दाल 180 रुपए तक पहुंच गई है। अचानक बड़ी कीमतों से कालाबाजारी की आशंका बढ़ गई है। बता दें कि तीन महीने में ही दाल की कीमत में 30 से 40 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। इतना ही नहीं चावल के दाम भी प्रति किलो 2 से 5 रुपए तक हर किस्म में बढ़ गए हैं। सस्ता अनाज यानी पीडीएस के चावल में भी धड़ल्ले से कालाबाजारी शुरू हो गई है। पहले चोरी-छिपे यह काम होता रहा, अब राशन दुकानों से ही सीधे गरीबों के चावल 5 रुपए से 10 रुपए किलो में खरीद लिए जा रहे हैं। उसे बाजार में 20 से 25 रुपए किलो में छोटे व्यापारियों को बेचा जा रहा है। छोटे व्यापारी मिलर्स से सांठगांठ कर इसे उनकी मिल तक पहुंचा दे रहे हैं। खास बात यह है कि खाद्य विभाग इसे लेकर गंभीर नहीं है। अफसर दफ्तर में बैठकर एसी की हवा खा रहे हैं, कुर्सी में आराम फरमा रहे हैं। शिकायत के बाद भी इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसका खामियाजा गरीब और मध्यमवर्गीय भुगतने मजबूर हैं।
सस्ता अनाज चोरी-छिपे आता है और चहेतों को बंट जाता है
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा राशन दुकानों के अलावा फेडरेशन के माध्यम से भी सस्ता अनाज उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए बस आधार कार्ड दिखाना होता है। इसके बदले भारत आटा, राहर दाल, नमक से लेकर अन्य अनाज सस्ते दर पर उपलब्ध कराए जाते हैं। महीने में दो बार इसकी सप्लाई अलग-अलग माध्यमों से होती है। लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है। सस्ता अनाज चोरी-छिपे शहर में पहुंचता है। चहेतों तक इसे पहुंचाया जाता है। वहां से व्यापारी इसे खरीदकर महंगे दामों में बेच रहे हैं। इस पर कहीं कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। शासन-प्रशासन को चाहिए कि वह रेंडमली जांच कराए।