• December 15, 2022

आयुक्त महोदय क्या कमीशनखोर अफसरों पर करवाई करेंगें कि यह सिर्फ भोली-भाली जनता के लिए ही है

आयुक्त महोदय क्या कमीशनखोर अफसरों पर करवाई करेंगें कि यह सिर्फ भोली-भाली जनता के लिए ही है

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

ये सड़क है वार्ड 48 की, जो राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय के जलपारिसर के ठीक बाजू में न्यू पुलिस लाइन तक जाती है। इस रास्ते का ज्यादातर उपयोग पुलिस विभाग के कर्मचारी और उड़िया बस्ती (उत्कल नगर) के लोग करते हैं। पांच बिल्डिंग में रहने वाले सरकारी कर्मचारी के परिवार भी इसका उपयोग करते हैं। ये जानकारी देना के मकसद सिर्फ इतना है कि आप जान पाएं कि जिन पर करवाई की जिम्मेदारी है वे कितना जागरूक हैं। अब बात करते हैं इस करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क की। सड़क की लागत करीब साढ़े 4 लाख रूपय होगी। करीब डेढ़ साल पहले इसका निर्माण हुए। दुर्ग निगम ने इसका निर्माण कराया। ठेकेदार जो कोई भी रहा हो लेकिन इसके मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी निगम के किसी अफसर की थी, जिसने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया। इस वजह से आज इस सड़क पर 100 से ज्यादा जगहों पर दरारें हैं, दरारें भी चोटी मोटी नहीं। काफी गहरी, या यह कहिए पूरी सड़क टुकड़ों में बंट चुकी है। रात में यदि कोई इस मार्ग से गुजरे तो इन दरारों में उसका फंसकर गिरना तय है। इस प्रकार इस सड़क को बनाने में जमकर घोटाला किया गया। कमीशन खोरी के खेल में अफसरों ने ऐसी घटिया सड़क बनने दी।

प्रशिक्षु आईएएस से शहर की जनता को उम्मीद

प्रशिक्षु आईएएस लक्ष्मण तिवारी इस समय दुर्ग निगम के आयुक्त है। उन्होंने नियम और कायदे को लेकर पूरे शहर में कब्जेधारियों के खिलाफ अभियान चला रखा है। एक लाइन से कब्जे तोड़े, नियम की बात भी करते हैं, जनता की गाढ़ी कमाई को इस तरह से कमीशखोर अफसर बर्बाद कर रहे हैं, क्या उन पर करवाई होगी।

राजस्व की वसूली निगम अफसरों से क्यों नहीं

निगम के अफसरों ने नियम कायदे तोड़ने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी है। शिक्षक नगर में करीब 30 ऐसे निगम के बकायेदार हैं, जिन्होंने कभी टैक्स ही जमा नहीं कराया, ये लोग कभी निगम में अधिकारी के पद पर पदस्थ रहे। इनसे ही 30साल से ज्यादा का टैक्स वसूला जाना है। इतना ही नहीं बिना किसी भवन अनुज्ञा के बंगला तान दिया है। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने निगम के आवासों में कब्जा कर रखा है। किराए तक में दे रखा है। अब साहब इन पर करवाई कौन करेगा। सामान्य लोगों पर तो पॉवर दिखा दिया, इन रसूखदारों का क्या होगा।

कब्जा हटाना गलत नहीं पर पुनः कब्जा होने देना गलत

निगम में कब्जा तोड़ने अभियान पहली बार नहीं हुआ। इससे पहले भी आईपीएस भोजराम पटेल, आयुक्त एसके सुंदरानी और अन्य ने कब्जा तोड़ा। उन करवाई का क्या हुआ, फिर कब्जे हो गए। गरीबों के झोपड़े उजड़े, ठेले खोमचे हटाए। फिर बसा भी दिए। इसके बाद कर्मचारियों ने वहां वसूली शुरू कर दी। डर दिखाने लगे। अब करवाई के नाम पर सिर्फ उन्हें परेशान किया जा रहा है। यदि यह सुनिश्चित कर दिया जाए कि अब कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। जैसे ही कब्जा होगा तोड़ दिया जायेगा  तो ही ऐसी करवाई को प्रशंसा मिलेगी। अन्यथा सिर्फ आलोचना…

 

 


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