- November 26, 2022
विधायक वोरा और नए आयुक्त के बीच कहा सुनी का वीडियो वायरल
ट्राईसिटी एक्सप्रेस
दुर्ग निगम के प्रभारी आयुक्त लक्षमण तिवारी की गतिविधियों को लेकर निगम में भूचाल मचा हुआ है। दो दिन पहले जहां महापौर धीरज बाकलीवाल ने उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। अब शहर विधायक अरुण वोरा के साथ उनकी नोंकझोंक का वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियों में विधायक वोरा की आयुक्त से जमकर बहस हो रही है। कहासुनी के बीच विधायक वोरा ने यहां तक कह दिया कि मैं दुर्ग की जनता के साथ गलत नहीं होने दूंगा। मैं मर भी जाऊंगा तो भी शहर की जनता की सेवा करता रहूंगा।
आयुक्त के निर्देश पर महाराजा चौक से पोटिया मार्ग पर कार्रवाई की गई। इस दौरान शिकायत पर शहर विधायक अरुण वोरा मौके पर पहुंचे। उन्होंने इस दौरान आम जनता, छोटे व्यापारियों से दुर्व्यवहार पर प्रशिक्षु आईएएस के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि आप मेरी सुन नहीं रहे हैं, बुलाने पर भी नहीं आ रहे हैं। मैं सभ्यता तरीके से बात कर रहा हूं। मुझे खुद को तकलीफ होती है। मैं बहुत बड़ा नेता नहीं हूं। लेकिन मैं दुर्ग की जनता का रक्षक हूं। जब तक जिंदा हूं और जब तक पद हूं, जनता की सेवा करते रहूंगा। जिस दिन मर जाऊंगा उसके बाद भी सेवा करता रहूंगा। बोरसी रोड, महाराजा रोड से मुक्त नगर मार्ग से महाराजा चौक और पोटिया रोड में अवैध कब्जा हटाने के नाम पर निगम ने दिनभर अभियान चलाया। इस दौरान लोगों ने कार्रवाई को लेकर नाराजगी भी जताई। कार्रवाही के दौरान भवन अधिकारी प्रकाशचंद थवानी, सहायक भवन अधिकारी गिरीश दीवान, अतिक्रमण अधिकारी शिव शर्मा, उपअभियंता विनोद मांझी आदि मौजूद थे।
अचानक प्रशिक्षु आईएएस को प्रभार देना, कहीं छवि धूमिल करने की साजिश तो नहीं
इस तरह पहले अचानक एक प्रशिक्षु आईएएस लक्षमण तिवारी को दुर्ग निगम के आयुक्त का प्रभार दिया जाना चर्चाओं का विषय बना हुआ है। जबकि महीनेभर पहले ही लोकेश चंद्राकर को निगम का आयुक्त बनाया गया था। इतना ही नहीं तिवारी को सारे अधिकार दिए गए हैं। वे आयुक्त के पूरे अधिकारों के साथ कुर्सी पर बैठे हैं। बावजूद इसके निगम से जुड़े किसी भी विकास कार्यों को लेकर कार्य एजेंसियों को बिल भुगतान के लिए पहले ही मना कर चुके हैं। इसके अलावा कब्जे के नाम पर छोटे व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनाव में पड़ने वाला है। इसके चलते ही इस कार्रवाई को लेकर शहर में खासी चर्चा है।
बड़े कब्जेधारियों और भूमाफियाओं को बक्शा जा रहा
ऐसा नहीं है कि कब्जा ठेले-खोमचों और सड़क किनारे नाली के ऊपर निर्माण करने वालों ने कर रखा है। कलेक्टोरेट के सामने दवे पेट्रोल पंप के पाास ही करोड़ों की सरकारी जमीन अतिक्रमण की चपेट में है। पुराने आयुर्वेद अस्पताल की जगह पर कब्जा है। पुराना बस स्टैंड के आसपास अतिक्रमण है। औद्योगिक नगर क्षेत्र में अतिक्रमण है। इन जगहों पर कभी भी कार्रवाई किया जाना मुनासिब नहीं समझा गया।
आईपीएस भोजराम पटेल ने की थी कार्रवाई, 1 करोड़ खर्च भी कराया, नहीं सुधरी व्यवस्था
पूर्व में आईपीएस भोजराम पटेल ने भी कुछ इसी प्रकार की कार्रवाइयां की। इस दौरान इंदिरा मार्केट से कब्जेधारी फुटपाथियों को खदेड़ा गया। सड़क के दोनों तरफ पार्किंग के लिए जगह तैयार की गई। इसके अलावा डिवाइडर बनाया गया। ताकि ट्रैफिक व्यवस्था सुधर सके। उनके जाते ही सड़क के दोनों तरफ पुन: कब्जा हो गया। वर्तमान में इस सड़क से गुजरना मुश्किल हो गया है। लोग इधर से आवाजाही करना ही पसंद नहीं कर रहे। यहां बनाया गया डिवाइडर सफेद हाथी साबित हो रहा है, जनता के पैसों की जमकर बर्बादी की गई। पर व्यवस्था नहीं सुधर पाई। एक बार पुन: कब्जा हटाने के नाम पर निगम ने अभियान शुरू किया है।