• December 16, 2022

गलती खुद करें… हंटर चला रहे पब्लिक पर, शहर में पुलिस और निगम की ताबड़तोड़ कार्रवाई बना चर्चा का विषय

गलती खुद करें… हंटर चला रहे पब्लिक पर, शहर में पुलिस और निगम की ताबड़तोड़ कार्रवाई बना चर्चा का विषय

ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
पुलिस द्वार चौक चौराहों पर की जा रही बना कार्रवाई हो या दुर्ग निगम के कब्जा हटाने और संपत्ति कर वसूली का मामला। इस समय ही दोनों विभाग पब्लिक पर सिर्फ हंटर चलाने का काम कर रहे हैं। इसे लेकर शहर में व्यापक चर्चा है। कुछ इसे अच्छा कदम बता रहे हैं वहीं कुछ लोग इस कार्रवाई की आलोचना भी कर रहे रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि कार्रवाई गलत नहीं है, लेकिन तरीका गलत है। जिस तरह से पब्लिक से दुर्व्यहार किया जा रहा, डंडे के दम पर लोगों को परेशान किया जा रहा। पटेल चौक पर 50 से 100 पुलिस को एकत्रित कर लोगों को डराने की कोशिश, निगम द्वारा पूरा अमला एक साथ जुटाकर जुलूस निकालते हुए कार्रवाई। इसे लेकर लोगों में नाराजगी ज्यादा है। ट्राईसिटी ने इस विषय क लेकर अलग-अलग लोगों से बात की। उनके विचार जानने का प्रयास किया। पुलिस और निर्माण की कार्यप्रणाली को भी समझने की कोशिश की, कि आखिर क्यों सिर्फ दुर्ग निगम क्षेत्र को निशाना बनाकर यह सब कार्रवाई की जा रही है। इतना ही ट्राईसिटी कुछ ऐसे विषयों को भी आपके सामने रखेगा, जहां बदस्तूरी नियम तोड़े जा रहे हैं, लेकिन पुलिस और निगम प्रशासन के कानों में जू नहीं रेग रहा। चलिए शुरुआत करते हैं, इसमें हम आपको दोनों ही विभागों की अच्छी और गलत बातें साथ में बताते जाएंगे।
3 साल में साढ़े 3 हजार से ज्यादा हादसे, 1100 से ज्यादा ने जान गंवाई
जिले में वर्ष 2019 से लेकर अब तक करीब 3500 हादसे हो चुके हैं। इसमें करीब 1100 लोगं को इन हादसों में जान गंवानी पड़ी है। 3500 लोग घायल भी हुए। इसमें रोड इंजीनियरिंग कांग्रेस का सर्वे भी हुआ, जिसमें सड़क निर्माण से लेकर अंधा मोड़, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था का न होना, चालक की गलती व अन्य बातें सामने आई। आपकों बता दें कि पुलिस की रिपोर्ट ही बता रही है कि वर्ष 2019 से लेकर अब तक में सबसे ज्यादा सड़क हादसों में मौतें इस साल हुई हैं। 280 से ज्यादा मौतें हो चुकी है। इसमें करीब 1 हजार लोग घायल भी हुए हैं। वर्तमान में नेहरूनगर से कुम्हारी के बीच बन रहे फ्लाई ओवर में सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं। अंडर कंस्ट्रक्शन के दौरान बरती जा रही लापरवाही भी इसका बड़ा कारण है। इसके अलावा जामुल रोड, धमधा रोड पर भी लगातार हादसे हुए हैं। लापरवाही की हद ऐसी है कि हाईवे पर विशेष रूप से एनएचएआई पर रात के समय बेतरतीब ढंग से भारी वाहन खड़े हो रहे हैं। पिछले दिनों एक पुलिस कर्मी को सोमनी के पास ऐसे ही एक ट्रक की वजह से जान गंवानी पड़ी।
आखिर जिम्मेदार कौन- इन सभी घटनाओं के लिए जिम्मेदार पुलिसिंग हैं, वजह यह है कि न ही ट्रैफिक को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा, सुरक्षा से जुड़े संकेतक नियमों का पालन किया जा रहा। न ही नियमित जांच हो रही। वर्तमान में जिस प्रकार की जांच दुर्ग शहर में की जा रही है, वैसी जांच यदि नियमित रूप से हो, तो कोई नियम ही न तोड़े, लेकिन पुलिस ऐसा नहीं करेगी। यदि नियमित जांच की जाने लगेगी तो पब्लिक जागरूक हो जाएगी और यदि पब्लिक जागरूक हो गई तो जुर्माना कौन भरेगा, राजस्व कहां से आएगा। कमीशनखोरी का खेल कैसे चलेगा। बड़ी अफसर व्यवस्था सुधारना चाहते हैं, लेकिन निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों को आखिर कैसे सुधार जाए। मुख्य जिम्मेदारी उन्हीं के जिम्मे है।
अभी हो क्या रहा – वर्तमान में पुलिस की टीम पटेल चौक, ग्रीन चौक और पुलगांव चौक पर जब चाहे खड़े हो रही है। हर आने-जाने वाले को निशाना बनाया गया है। हेलमेट से लेकर लाइसेंस, तीन सवारी और अन्य खामियां बताकर कार्रवाई की जा रही है। महिलाओं तक को नहीं छोड़ा जा रहा। बिना कुछ सुने सिर्फ चालान जमाव बोलकर चाबियां निकाल ली जा रही है। इतनी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी होती है कि सामान्य आदमी भयभीत होने लगता है।
कब्जा हटाने के नाम शहर में तीसरी बार बड़ा अभियान, 1 करोड़ से ज्यादा की चपत, नतीजा शून्य
शहर में कब्जा हटाने और व्यवस्थित ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर पिछले 15 सालों में निगम ने तीन बडी कार्रवाई की। पहले तत्कालीन आयुक्त एसके सुंदरानी के निर्देश पर कब्जा हटाने मुहिम चलाई गई। इसके बाद आईपीएस भोजराम पटेल ने अपना दम दिखाया। पूरे शहर में घूमघूमकर जहां कब्जा नजर आया तोड़वाया। वे यहीं नहीं रुके उन्हें इंदिरा मार्केट से संतराबाड़ी तक मार्केट के बीच में डिवाइडर बनवा दिया। बाजार में रह कसी कसर भी पूरी हो गई। अब पूरा बाजार ट्रैफिक की समस्या से जूझ रहा है। वजह यह है कि कब्जा हटने के बाद दोबारा हो गया। पहले से ज्यादा कब्जा हो गया। अब बारी है वर्तमान आयुक्त लक्षमण तिवारी की। उन्होंने भी आते ही ताबड़तोड़ कार्रवाइयां की। पूरे बाजार से कब्जा हटवाया, लेकिन पुराना बस स्टैंड के आसपास के कब्जे वे हटा पाने में विफल रहे। उन्होंने पेंडिंग राजस्व बढ़ाने के नाम पर भी बड़े नेताओं और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को नोटिस तक भेजा। यहां तक दुर्व्यवहार करने वाले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ थाने में शिकायत तक कराई। पर वे शिक्षक नगर में निगम के सेवानिवृत्त अधिकारियों और कब्जों को भूला बैठे। जहां से करीब डेढ़ करोड़ का राजस्व पिछले 30 साल से अटका हुआ है।
आखिर जिम्मेदार कौन – कार्रवाई के नाम पर पब्लिक को तो लगातार परेशान किया जा रहा, लेकिन स्थाई समाधान की दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसमें स्थानीय प्रशासन और शासन दोनों ही जिम्मेदार है। उनके द्वारा लगातार कब्जा होने दिया जा रहा है। इसके बाद उसे हटाने दादागिरी की जा रही। इससे ठेले-खोमचे और मध्यमवर्गीय दुकानदारों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। उनके सामने निगम के बार-बार के इस प्रयोग से रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। उनका कहना है कि या तो आप हमें पहले ही रोक दें या कहीं जगह दे देें। अचानक आना और तोड़ देना ये कहां का न्याय है। इसके लिए लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी जिम्मेदार बताया। उनके राजनीतिक संरक्षण की वजह से ही बार-बार ऐसे हालात बन रहे हैं।
अभी हो क्या रहा
22 नवंबर से लक्षमण तिवारी ने आयुक्त का प्रभार लिया है। इसके बाद से ताबड़तोड़ कार्रवाइयां की जा रही है। इस दौरान तिवारी को कई जगहों पर व्यापारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। यहां तक आदर्श नगर चौक पर शहर विधायक अरुण वोरा से भी उनकी नोंकझोंक हुई। इंदिरा मार्केट में कब्जा हटाने को लेकर विवाद हुआ। सदर लाइन में बर्तन व्यापारी के साथ विवाद हुआ, जिसमें बाद में 4 व्यापारियों पर प्रतिबंधात्मक धारा के तहत कार्रवाई तक की गई। इसके अलावा शंकर नगर में सफाई व्यवस्था और अन्य कारण बताकर अग्रवाल नर्सिंग होम को बंद कराया गया। संचालक डॉ. एसके अग्रवाल और आप नेता मेहरबान सिंह को हिरासत में लिया गया। संपत्तिकर वसूली को लेकर 50 से ज्यादा पुराने बकाएदारों को नोटिस जारी किया गया। वर्तमान में इस तरह की कार्रवाई लगातार जारी है।
कई नेताओं की छवि बिगाड़ने का खेल तो नहीं
प्रदेश में इस समय तीन जगहों पर प्रशिक्षु आईएएस बैठाए गए हैं। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रोबेश्नल आईएएस को निगम में प्रभार दिया गया है। दुर्ग के अलावा बिलासपुर और रायपुर में भी इस तरह से व्यवस्था दी गई है। रायपुर में महापौर एजाज ढेबर हैं। कुलदीप जुनेजा सहित अन्य 4 विधायक आते हैं। अधिकारियों की लगातार कार्रवाई को लेकर कुछ दिन पहले ढेबर भी मुखर हो गए थे। उन्होंने कहा कि बिना उनकी अनुमति किसी भी ठेले-खोमचे वालों को न हटाएं, नहीं तो वे अधिकारियों को हटा देंगे। बिलासपुर में कांग्रेस के ही मेयर राजकिशोर यादव हंैं। यहां से शैलेश पांडेय सहित तीन विधायक हैं। बिलासपुर में भी कार्रवाई को लेकर लगातार आपत्ति दर्ज कराई गई है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दुर्ग में विधायक अरुण वोरा और मेयर धीरज बाकलीवाल भी विरोध कर चुके हंैं, लेकिन अधिकारी अपना काम कर रहे हैं। इस प्रकार कुछ विशेष क्षेत्र में ही यह व्यवस्था दी गई है। इस पर नेताओं की छवि बिगाड़ने का खेल चलने को लेकर शहर में खासी चर्चा है।
ट्राईसिटी ओपिनियन
नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई किया जाना बिल्कुल गलत नहीं हैं, लेकिन इसका तरीका लोकतांत्रिक होना चाहिए। संवैधानिक व्यवस्था के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। संविधान में विधायिका को कार्यपालिका के ऊपर रखा गया है। इस हिसाब से एक जनप्रतिनिधियों के आदेश और निर्देशों का सम्मान किया जाना चाहिए। चूंकि शासन के वे हिस्सा हैं। जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है, इस वजह से जनता के प्रति पहली जवाबदेही उनकी बनती है। उनका सम्मान नहीं होगा तो जनता का सम्मान नहीं होगा। इस बात को समझकर अफसरों को काम करना चाहिए। जनप्रतिनिधियों की भी जिम्मेदारी है कि वे ऐसा कोई काम न करें, जिससे पब्लिक को परेशानी हो और जो नियम विरुद्ध हो।

संभल जाएं अफसर और शहर सरकार

पिछले दिनों हुए घटनाक्रम के बाद शहर सरकार और अफसरों को संभलने की जरुरत है। लोगों का आक्रोश बढ़ने लगा है। इसके लिए कांग्रेस की सरकार ज्यादा जिम्मेदार है। वर्तमान मे आप आदमी पार्टी के नेता और शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. एसके अग्रवाल के ऊपर हुई कार्रवाई के बाद से माहौल गर्मा गया है। इधर  बीजेपी ने भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि अनावश्यक आम पब्लिक को इसी तरह से परेशान किया जाता रहा, तो अब मौके पर पहुंचकर सीधे कार्रवाई का विरोध करेंगे। इसके बाद शासन-प्रशासन से जो बन पड़े वह कर सकती है। व्यापारियों ने भी हफ्तेभर पर निगम की कार्रवाई के खिलाफ मूर्दाबाद के नारे लगाए गए थे। इतना ही नहीं वर्ग विशेष पर कार्रवाई करने और दूसरे समुदाय को अभय दान दिए जाने को लेकर भी शहर का माहौल खराब होने का खतरा बढ़ गया है।


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