• April 16, 2023

दुर्ग शहर में वोरा का विकल्प तलाश रही कांग्रेस, 6 बार लगातार लड़ चुके हैं चुनाव, पार्टी नेता ले रहे गुपचुप फीडबैक

दुर्ग शहर में वोरा का विकल्प तलाश रही कांग्रेस, 6 बार लगातार लड़ चुके हैं चुनाव, पार्टी नेता ले रहे गुपचुप फीडबैक

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

नवंबर दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेके सरगर्मी तेज हो गई है। पिछले 15 दिनों में कांग्रेस की गतिविधियां भी तेज हुईं हैं। दुर्ग शहर के वर्तमान विधायक अरुण वोरा की टिकट खतरे में नजर आ रही है। हालांकि अब तक इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं है। लेकिन पिछले 15 दिनों में पार्टी नेताओं की दुर्ग में अलग अलग जगह गोपनीय बैठकें हुईं हैं। इसके अलावा कुछ नेताओं को रायपुर बुलाकर भी पूछताछ की गई है। एक नेता को तो इशारा भी किया गया है कि वें वोरा से नजर बचाकर चुनावी तैयारी भी करें। इसके बाद इन जनाब द्वारा अपने घर पर ही सामाजिक भोज के बहाने बैठक तक कर डाली। इधर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू समर्थक और दुर्ग निगम में पार्षद को जब इसकी खबर लगी तो उन्होंने भी अपना राजनीतिक कद बढ़ाना शुरू कर दिया। आज वे भी टिकट की दौड़ में शामिल हो गए हैं।

वोरा के विकल्प की तलाश क्यों की जा रही, इसे भी जानिए

वोरा पिछले 6 बार से दुर्ग सीट पर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें 3 बार जीतें हैं और 3 बार हारे हैं। इस प्रकार पिछले 30 साल से कांग्रेस में किसी और नेता को विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका ही नहीं मिल पाया। पर मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के प्रभाव की वजह से कोई कुछ नहीं कर पाया। अब परिष्टि अलग है। कांग्रेस एक भी सीट खोना नहीं चाहती, इस वजह से कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। इस वजह से विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इधर वोरा के खिलाफ पिछले कुछ समय में असंतोष बढ़ा है। उनके विधायक रहते कई बड़े दिग्गजों का पूरा राजनीतिक करियर खराब हो गया। राज्य में सरकार बनने के बाद से लगातार स्थानीय नेता शिकायत लेकर पहुंचते भी रहे हैं।

विधानसभा टिकट की दौड़ में ये नेता भी

सबसे पहला नाम महापौर धीरज बाकलीवाल का है। पिछले तीन सालों में उनका जनाधार काफी तेजी से बड़ा है। लगभग 60 वार्डों के पार्षद घोषित और अघोषित तौर पर उनके समर्थन में हैं। संगठन के युवा और वरिष्ठ भी उनके साथ हैं। दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री के दामाद क्षितिज चंद्राकर है, जिनकी अपनी एक अलग टोली है। सीएम का नाम जुड़ा होने की वजह उनकी पूछ परख ज्यादा है। खबर तो ये भी है कि वे लोकसभ को ध्यान रखकर तैयारी भी कर रहे हैं। तीसरा नाम अब्दुल गनी का है। मुस्लिम समुदाय के इस समय सबसे तेज तर्रार नेता हैं। इस बार भिलाई से बीड कुरैशी की टिकट काटना तय है। वहां से मुकेश चंद्राकर को मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। यदि ऐसा हुआ तो दुर्ग से गनी का नाम भी तय हो सकता है। उनके अलावा राजेंद्र साहू भी दौड़ में हैं। बैंक अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें टिकट मिलने की संभावना कम है, लेकिन जाति समीकरण में वे पूरी तरह फिट बैठते हैं।

पार्टी करा रही तीन लेयर में सर्वे

पार्टी तीन लेयर पर सर्वे भी करा रही है। ताकि सही जानकारी मिल सके। इसके अलावा सरकारी एजेंसियों की भी रिपोर्ट ली जा रही है। ताकि सही जानकारी मिल सके। अब तक हुए सर्वे के मुताबिक 60-40 की स्थिति है। गांवों में कांग्रेस का जोर है। शहरों में स्थित खराब है, लेकिन सरकार कांग्रेस की ही बनती नजर आ रही हैं।

वोरा के दोनों सुपुत्रों ने संभाला मोर्चा

इधर चुनाव की तैयारियो के बीच अरुण वोरा के दोनों पुत्रों ने मोर्चा संभाल लिया है। बड़ा बेटा सुमित फील्ड पर रहकर जनसमर्थन जुटा रहा है। युवाओं को तैयार कर रहा गई। वहीं छोटा बेटा संदीप पिछले चुनाव का एनालिसिस करने में जुटा हुआ है। संदीप में राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी बढ़ चुकी है। वर्तमान में वह युवा कांग्रेस में प्रदेश महासचिव हैं। हर राजनीतिक बैठकों में भी नजर आ रहे हैं।


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