- August 19, 2024
प्रधानमंत्री सड़क योजना में बड़ा घोटाला, पैसे नहीं थे फिर भी मेंटेनेंस पर फूंक दिए 600 करोड़, फंड का इंतजाम नहीं था, लेकिन टेंडर निकाला
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
रायपुर
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार अब पराकाष्टा की सीमाएं लांघ रहा है। प्रधानमंत्री सड़क योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। चुनावी साल में पैसे नहीं होने के बाद भी करीब 600 करोड़ रुपए सड़कों के मेंटेनेंस के नाम पर फूंके गए। इतना ही नहीं मेंटेनेंस के आड़ में कई जगहों पर अच्छी सड़कों के ऊपर ही पूरी की पूरी सड़क बना दी। विभाग के पास सड़कों के सुधार कार्य के लिए फंड नहीं था, लेकिन टेंडर पर टेंडर जारी किए गए। यहां तक कार्य एजेंसी तय कर उसे काम करने के लिए आदेश भी जारी कर दिया गया। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय ये काम हुए। सूत्रों के मुताबिक इसमें उन सड़कों के पूर्ण डामरीकरण का ठेका जारी कर दिया गया, जिनकी मरम्मत जरूरी नहीं थी या पैचवर्क से काम चल सकता था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) के तहत 2023-24 में बिना बजट के 716 सड़कों की मरम्मत का टेंडर जारी किया गया। इसमें से 381 काम पूरा हो गया है, जबकि 236 सड़कें बन रही हैं। जो बन गई हैं, उनके ठेकेदार बिल पास करने के लिए दबाव बना रहे हैं, पर विभाग बजट न होने का तर्क दे रहा है। अफसरों ने ही इस पूरे मामले का खुलासा किया है। उन्होंने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्तों पर यह भी बताया कि नेताओं ने दबाव डालकर इन कामों की स्वीकृति कराई। इस मामले की जांच शुरू हो गई है। विभागीय अफसरों ने इस मामले में दोषी अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। इनमें तत्कालीन मुख्य अभियंता (संविदा) आर बारी, प्रमुख अभियंता अरविंद राही और सीईओ शामिल हैं। पिछली सरकार में राही को प्रमोट कर इंजीनियर इन चीफ बना दिया गया। वहीं, रिटायरमेंट से एक दिन पहले आर बारी को संविदा नियुक्ति दे दी गई। हालांकि, नई सरकार में राही मंत्रालय में पदस्थ हैं। बारी को भारमुक्त कर दिया गया है। दूसरी तरफ, राज्य में 202 में नई सरकार बनने के बाद उन 99 सड़कों के काम को रोक दिया गया है, जिसमें काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है और जिसकी मरम्मत की अभी जरूरत नहीं है।
विभाग के पास पैसे नहीं थे, फिर भी काम शुरू करा दिया गया
दरअसल, जिस समय यह टेंडर निकाला गया, उस समय विभाग को 2023-24 के बाकी भुगतान के लिए 800 करोड़ रुपए की जरूरत थी। इसमें 2021-22 और 2022-23 में स्वीकृत सड़कों के निर्माण के बकाया 543 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। दूसरी तरफ, पीएमजीएसवाय सड़कों के मेंटेनेंस के लिए सरकार ने विभाग को 2023-24 में सिर्फ 500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इसके बावजूद चुनावी साल में मरम्मत के नाम पर दो टुकड़ों में 646 करोड़ रुपए का टेंडर मंजूर कर लिया गया। हालांकि 257 सड़कों का काम अब भी पेंडिंग है। इसमें 21 सड़कें 2022-23 की, जबकि 236 सड़कें 2023-24 की हैं। जबकि 410 बन चुकी हैं। 2022-23 की 5 सड़कों के नवीनीकरण के काम को निरस्त करने की तैयारी है।
ठेकेदारों की अमानत राशि तक नहीं छोड़ी
इस अनियमितता में एक और कड़ी उस समय जुड़ गई जब अफसरों ने ठेकेदारों द्वारा जमा परफार्मेस गारंटी के पैसे को भी खर्च कर दिए। तीन दर्जन ठेकेदारों ने विभाग से एपीएस (एडिशनल परफार्मेस सिक्योरिटी) की राशि वापस मांगी है। विभाग को लगभग 27 करोड़ रुपए का ठेकेदारों को लौटाने है। विभाग ने एपीएस राशि से दूसरे ठेकेदारों को पुराने काम के बदले भुगतान कर दिया है। जबकि यह अमानत की राशि होती है। जितना बजट में पैसा था, उससे ज्यादा का काम निकाल दिया गया था। भुगतान अभी नहीं हुआ है। खबर है कि इस पूरे मामले की जानकारी वित्त विभाग को भेजी गई है। बताया जा रहा है कि विभाग की खस्ता हालत के चलते आगामी दो साल तक पीएमजीएसवाय में नई व पुरानी सड़कों की मरम्मत पर राशि खर्च करने की स्थिति नहीं है। वजह इस योजना के सभी तरह का बकाया चुकाने के लिए 1447 करोड़ रुपए की जरूरत है। लेकिन 1 अप्रैल 2023 की स्थिति में 192 करोड़ रुपए ही थे। 2023-24 के लिए 500 करोड़ मिले। इस तरह बकाया भुगतान के लिए 692 करोड़ रुपए ही हैं। विभाग पर 755 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार है। उच्च अफसरों ने बताया कि यह गंभीर अनियमितता है, इस मामले में जांच के बाद दोषी अफसरों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
ट्राई सिटी एक्सप्रेस, ब्यूरो चीफ बेमेतरा, योगेश कुमार तिवारी, 9425564553, 6265741003,