- November 7, 2024
सियासी घमासान, बिहारियों को साधने छत्तीसगढ़ियों को नाराज कर रिकेश सेन बुरे फंसे, हो रही थू थू…इधर भूपेश के कमेंट के बाद भी भिलाई के कांग्रेस नेताओं के मुंह में दही जमे हुए, सोशल मीडिया में जमकर बवाल
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
भिलाई
कुरुद नकटा तालाब जो पंथी कलाकार देवदास बंजारे के नाम पर है, उसका नाम बदलकर बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा के नाम पर किए जाने की वैशालीनगर विधायक रिकेश सेन की घोषणा के बाद बवाल मच गया है। छत्तीसगढ़ के कुछ लोगों ने इसे अपनी अस्मिता का प्रश्न बना लिया है। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने इसे लेकर खुलकर विरोध शुरू कर दिया है। वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर पोस्ट डाला है, जिसके बाद यह सियासी घमासान और अधिक बढ़ गया है। इस मामले को लेकर वैशालीनगर विधायक रिकेश सेन बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। क्रांति सेना ने इस मामले में आरोप लगाया है कि यूपी और बिहार के लोगों को खुश करने और वोट बैंक की राजनीति के लिए रिकेश सेन ने छत्तीसगढि़यों का अपमान किया है। इस बात को लेकर एक क्रांति सेना के उपाध्यक्ष से उनके साथ ही कहासुनी का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें रिकेश सेन उसे धमकाते नजर आ रहे हैं। हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद रिकेश सेन का एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे इस मामले में सफाई देते नजर आ रहे हैं, उन्होंने कहा कि क्रांति सेना का उपाध्यक्ष उनके छोटे भाई जैसा है। वे सिर्फ उसे समझा रहे हैं।
उन्होंने भूपेश बघेल को पोस्ट को लेकर कहा कि क्रांति सेना को लेकर भूपेश बघेल की टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ क्रांति सेना कांग्रेस और भूपेश बघेल की बी टीम है। बहरहाल इस पूरे मामले में राजनीति गर्माई हुई है। हालांकि भिलाई शहर के कांग्रेस नेता इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। उनके तरफ से खुलकर अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है। हालांकि छत्तीसगढि़यां इस मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ के लोगों में खासी नाराजगी देखी जा रही है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा है कि यह छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार देवदास बंजारे का अपमान है। पूरे छत्तीसगढ़ और यहां के कलाकारों का अपमान है। वैशालीनगर विधायक को अपना फैसला वापस लेना चाहिए। हालांकि वैशालीनगर विधायक ने कहा है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी। लेकिन वे अब भी अपने फैसले पर कायम हैं। बता दें कि रिकेश सेन ने बिहार की लोक कलाकार शारदा सिन्हा के निधन के बाद नकटा तालाब जो कि देवदास बंजारे के नाम पर है, उसका नाम बदलकर शारदा सिन्हा के नाम पर करने की घोषणा की है। साथ ही अपनी निधि से 1 करोड़ रुपए तालाब के सौंदर्यीकरण और शारदा सिन्हा की प्रतिमा स्थापित किए जाने के लिए दिए जाने की बात कही थी। इसके बाद से सियासी घमासान तेज हो गया है। रिकेश की घोषणा को लेकर पूरे प्रदेश में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
क्रांति सेना ने की उग्र आंदोलन की चेतावनी, घोषणा वापस लेने रखी मांग
इधर क्रांति सेना ने इस मामले को लेकर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। क्रांति सेना के पदाधिकारियों ने कहा कि रिकेश सेन सतनामी समाज और पूरे छत्तीसगढ़ के लोगों से माफी मांगे, लिए फैसले को वापस लें। अन्यथा उनके खिलाफ पूरे छत्तीसगढ़ में उग्र आंदोलन किया जाएगा। पदाधिकारियों ने कहा कि यह सोची समझी साजिश है, जिसे ढंकने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हें इस बात की पहले से जानकारी थी कि सितंबर 2024 को भिलाई निगम और निषाद मत्स्य उद्योग सहकारी समिति के बीच अनुबंध हुआ है। तालाब को वर्ष 2034 तक यानी 10 साल के लिए मछली पालन के लिए दिया गया है। इसके बाद भी घोषणाएं की गई। छत्तीसगढि़यों की भावनाओं को आहत किया गया। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वैसे भी कुछ लोग भिलाई को बिहार बनाने की साजिश कर रहे हैं, ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। क्रांति सेना हर मोर्चे पर इसका विरोध करेगी।
कांग्रेस नेताओं की चुप्पी से उठ रहे कार्यप्रणाली पर सवाल
बता दें कि इस मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया में पोस्ट डाला है, लेकिन भिलाई के किसी बड़े कांग्रेस नेता का इस मामले में कोई बयान सामने नहीं आया है, न ही कांग्रेस नेताओं ने खुलकर विरोध किया है। अब तक वे चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इस घटना की निंदा की है। सामाजिक सौहाद्र बनाए रखने की बात कही है।
कौन हैं देवदास बंजारे, इसे भी जानिए
देवदास बंजारे की पहचान छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य और गीत पंथी के अमर नायक के तौर पर दर्ज है। उन्हें बाबा गुरु घासीदास के सच्चे साधक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने पूरी दुनिया को मांदर की थाप पर अपने संग नचा दिया। देवदास बंजारे का जन्म 1 जनवरी सन् 1947 को धमतरी जिले के सांकरा गाँव में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई दुर्ग जिले में भिलाई के पास उमदा गाँव में हुई। वे एक अच्छे धावक और कबड्डी के माहिर खिलाड़ी रहे। 1969 में एक घटना ऐसी घटी जिसने उनकी जिंदगी को एक नई मोड़ दी। दरअसल कबड्डी प्रतियोगिता में उन्हें घुटने में चोट होने की वजह बाहर कर दिया गया। यहीं से देवदास अपने नए जीवन की सफर की शुरुआत की। यह शुरुआत थी पंथी कलाकार के तौर पर।
1972 में बाबा के जन्म स्थान गिरौदपुरी जहां छत्तीसगढ का बहुत बड़ा मेला लगता है। वहां के प्रर्दशन ने देवदास को सफलता की सीढियों में चढ़ना सिखा दिया। उस अवसर पर अविभजित मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं श्यामाचरण शुक्ल ने उनके दल को स्वर्ण पदक से नवाजा। 26 जनवरी 1975 को छत्तीसगढ एवं स्पात मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करते हुए गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में देवदास को नाचते हुए लाखों लाख लोगों नें देखा। 21 मई 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फकरूद्दीन अली अहमद नें गणतंत्र दिवस के परेड की प्रस्तुति से प्रसन्न होकर राष्ट्रपति भवन में प्रस्तुति हेतु आमंत्रित किया एवं अपने हांथों से स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। हबीब तनवीर ने जो देवदास को चरणदास चोर में ब्रेक दिया यहीं से उसकी नृत्य ने सफलता की रफ्तार पकड़ ली । हबीब तनवीर के “चरणदास चोर” नें देश व विदेशों के कई कई शहरों में अपना कीर्तिमान रचा है जिसमें देवदास के बाल बिखरा कर नृत्य करते देखकर दर्शक झूम उठते थे। लंदन, एडिनबर्ग, हेम्बर्ग, एस्टरडम, कनाडा, ग्लासगो, पेरिस, सहित कई देशों व नगरों में पंथी नृत्य नें घंटों समा बांधा और दर्शक देवदास को मांदर बजाते पांवों में घुघरू बांधे तीव्र से तीव्रतम नृत्य करते, करतब करते, पिरामिड बनाते देखते और छत्तीसगढ के इस नृत्य को देखकर दांतो तले उंगली दबा लेते 26 अगस्त 2005 का रायपुर से भिलाई के रास्ते सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। इसके बाद कुरुद भिलाई के नकटा तालाब का नाम उनके नाम किया गया। हालांकि तालाब हमेशा ही उपेक्षित रहा।