• December 16, 2024

सरकार का फैलियर, दो साल का ​मिलिंग और ट्रांसपोर्टिंग भुगतान नहीं, धान उठाव के लिए बना रहे दबाव, लेकिन एफसीआई का चावल लेने से इंकार, मझधार में राइस मिलर्स, कोर्ट जाने की तैयारी

सरकार का फैलियर, दो साल का ​मिलिंग और ट्रांसपोर्टिंग भुगतान नहीं, धान उठाव के लिए बना रहे दबाव, लेकिन एफसीआई का चावल लेने से इंकार, मझधार में राइस मिलर्स, कोर्ट जाने की तैयारी

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

रायपुर।

भाजपा की वर्तमान विष्णुदेव साय सरकार धान खरीदी के मामले में अब तक फैलियर साबित हुई है। 14 नवंबर से शुरू हुई धान की खरीदी में अब तक 10,80,167 किसानों ने 50,58,981.52 ​मीट्रिक टन धान बेचा है, लेकिन इस धान का उठाव अब तक सही तरीके से शुरू नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं एक दाना धान न ही एफसीआई में जमा हुआ है न ही नागरिक आपूर्ति निगम में। जबकि खरीदी शुरू हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में अब तक सिर्फ 157 मिलर्स ने ही धान का उठाव किया है, उन्होंने भी महज 123242.11 मीट्रिक टन धान का उठाव किया है। बाकी मिलर्स सरकारी नीतियों से खासे नाराज है। उनका आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। मिलर्स लामबंद हो रहे हैं। उन्होंने पहले ही सरकार को चेतावनी भी दे रखी है कि उनकी बातों को ध्यान नहीं दिया गया, तो वे 20 दिसंबर तक धान का उठाव नहीं करेंगे। इस वजह से दिक्कतें बढ़ी हुई हैं। बता दें कि ​मिलर्स इस बात से नाराज हैं कि उन्हें पिछले दो साल का मिलिंग चार्ज और ट्रांसपोर्टिंग का पैसा नहीं दिया गया है। इस मामले में सरकार ने दो टूक कह दिया है कि यह राशि नहीं मिलेगी। इसके बाद धान उठाव कर 20 दिनों के अंदर जमा करना होगा। अन्यथा पेनल्टी की वसूली की जाएगी। इधर एफसीआई में पहले ही चावल जमा करने को लेकर दिक्कत बनी हुई है। महीनेभर बाद का भी स्टेज नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से ​मिलर्स धान का उठाव करने से कतार रहे हैं। उन्हें पहले ही दो साल का भुगतान नहीं हुआ है, इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, इसके बाद एफआईसी की दिक्कत अलग। इन परेशानियों के बीच सरकार भी लगातार धान का उठाव करने दबावे बना रही है, दबाव बनाने के लिए प्रदेश के बड़े राइस मिलर्स के ठिकानों में पिछले दो दिनों से दबिश भी दी जा रही है। दस्तावेज और अन्य कारण बताकर नोटिस थमाया जा रहा है। पेनल्टी लगाई जा रही है। इससेे मिलर्स का आक्रोश और अधिक बढ़ गया है, अब वे सरकार के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी मे है। साथ ही धान का उठाव नहीं करने के मूड़ में है। यदि ऐसा हुआ था सरकार को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी अटक सकती है। बता दें कि वेतन बढ़ाने समेत 8 मांगों को लेकर धान खरीदी केंद्रों के ऑपरेटर हड़ताल में चले गए हैं। वहीं, 2022-23 की कस्टम मिलिंग का पैसे नहीं मिलने से 2 हजार से ज्यादा मिलरों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। मिलरों ने सरकार को साफ कह दिया है अब पैसे दो और चावल लो। इस मामले को लेकर सरकार और मिलर्सों के बीच बैठक भी हो चुकी है, लेकिन बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया। दरअसल, मिलरों को 2022-23 और 2023-24 में की गई कस्टम मिलिंग का पेमेंट अभी तक नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार, यह रकम करीब 4 हजार करोड़ रुपये के आसपास है। राज्य में नई सरकार बनने के बाद नई दरें तय कर दी गईं। जिसके बाद से मिलर खफा हैं। कांग्रेस सरकार मिलर को प्रति क्विंटल धान के कस्टम मिलिंग पर 120 रुपये मिलते थे, लेकिन राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने इसे घटा दिया। इस 120 रुपए के अलावा 10 रुपए केंद्र द्वारा तय मिलिंग की राशि मिलती थी। फिलहाल पिछले साल के सिर्फ 60 रुपए जारी किए गए हैं। बाकी पैसा अप्राप्त है। सरकार अब यह राशि देने को भी तैयार नहीं है।

सरकार के फैसले से मिलर नाराज
सरकार के इस फैसले से मिलर नाराज हैं। मिलरों का कहना है कि अभी तक 2022-23 के पैसे नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन चार्ज का भी मामला है। पूर्व की कांग्रेस सरकार धान के परिवहन के लिए प्रति किमी 80 रुपये देती थी। नई सरकार ने इसमें भी कटौती कर इसे 14 से 18 रुपये कर लिया है। मिलरों का कहना है कि सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। इसके बाद कस्टम मिलिंग नहीं करने का फैसला किया है। अगर राइस मिलर और सरकार के बीच सहमति नहीं बनती है तो किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें अपनी धान बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। इसके साथ ही धान को सुरक्षित करने के लिए सरकार को खरीदी केंद्र से संग्रहण सेंटर पहुंचाना होगा। जिसमें सरकार को भारी-भरकम खर्च आएगा। लंबे समय तक धान रखी रहने से सूखत की समस्या का भी आएगी। इसके अलावा कई इंडस्ट्री पर भी संकट आ सकता है। वहीं, दूसरी तरफ यह भी दावा किया जा रहा है कि सरकार प्रति क्विटंल धान की कीमत 3100 रुपये की जगह पर 2300 रुपये दे रही है। जिस कारण से किसानों में आक्रोश है। बता दें कि राज्य में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 14 नंवबर से शुरू हुई है और 31 जनवरी 2025 तक धान की खरीदी की जानी है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के भाई योगेश अग्रवाल सहित कई अन्य बड़े मिलर्स की मिल में दबिश

बता दें कि योगेश अग्रवाल इस समय छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। वे वर्तमान में सांसद बृजमोहन अग्रवाल के भाई हैं। इसके बाद भी भाजपा की सरकार के इशारे पर खाद्य विभाग के अधिकारियों की टीम ने दबिश दी। दस्तावेज खंगाले, उन्हें नोटिस थमाया। इसके बाद अलावा कई बड़े मिलर्स के ठिकानों पर दबिश दी गई है। माना जा रहा है कि मिलर्स पर दबाव डालने के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में यह कार्रवाई की जा रही है। इधर मिलर्स अब भी दुविधा में हैं कि वे क्या करें। पुराना पैसा उन्हें मिला नहीं हैं, पहले से इसके लिए वे कर्जा लेकर बैठे हैं। अब वर्तमान समय में खरीदे गए धान के उठाव के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसमें भी कई कंडिकाएं लगा दी गई हैं, जिसे पूरा कर पाना मिलर्स के सामने संभव नहीं है। यदि ऐसा हुआ ​था प्रदेश में धान के उठाव और खरीदी को लेकर खासी दिक्कत होने की आशंका बनी हुई है।


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