• March 9, 2024

खतरे में भाजपा की दुर्ग लोकसभा सीट, कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा, साहू समाज का उन्हें एक तरफा समर्थन

खतरे में भाजपा की दुर्ग लोकसभा सीट, कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा, साहू समाज का उन्हें एक तरफा समर्थन

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। भाजपा ने 6 जनवरी को दुर्ग और बस्तर में अभिनंदन समारोह की सभा के बहाने चुनाव का बिगुल फूंक दिया था। इसके बाद से राजनीतिक हल्कों में चुनाव पर चर्चा भी शुरू हो गई थी। बात दुर्ग की, इसलिए कि सबसे पहले भाजपा के दिग्गज यहां जुटे। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव और भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के अलावा सहप्रभारी नितिन नबीन, संगठन महामंत्री अजय जामवाल, पवन साय सहित अन्य सारे नेता दुर्ग के पंडित रविशंकर स्टेडियम में हुए अभिनंदन समारोह में शामिल हुए। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने विजय बघेल को दोबारा उम्मीदवार बनाया है, जिसे लेकर लगभग पहले से सब कुछ तय था, लेकिन उनका नाम तय होने के साथ ही पार्टी ने अंतर्कलह की बातें सामने आने लगी हैं। इसके अलावा कोई बड़ा काम लोगों को लोकसभा क्षेत्र में नजर नहीं आया है। लोग पहले से नाखुश थे। अब कांग्रेस ने इस सीट पर  युवा चेहरे राजेंद्र साहू को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा है। इससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भाजपा से विजय बघेल इस समय सांसद हैं। वे 391978 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। उन्होंने कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को चुनाव हराया था। मोदी लहर में उनकी भी चल निकली थी। इस बार ऐसा नजर नहीं आ रहा है। विजय बघेल को लेकर कार्यकर्ताओं में जहां पहले की तरह उत्साह नहीं है। वहीं आम जनता के बीच भी बघेल अपनी छवि बनाने में नाकाम साबित हुए हैं। भाजपा में उन्हें घोषणा समिति का संयोजक भी बनाया था। महात्र्य वंदन की जो योजना बनी, उसे लेकर महिलाएं लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहीं हैं। महिलाओं की नाराजगी बढ़ रही है, इसके अलावा जिन महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा, वे सीधे भाजपा के खिलाफ खड़ी हो गईं हैं। उनका मानना है कि ये कैसा मापदंड है, जिसमे कुछ महिलाओं को आर्थिक मदद दी जा रही, कुछ को छोड़ दिया।   सांसद बघेल की पिछले पांच सालों में लोकसभा क्षेत्र में कोई बड़ी उपपलब्धि भी देखने को नहीं मिली है। कोई भी बड़े प्रोजेक्ट प्रभावी ढंग से दुर्ग में न शुरू हो पाए, न ही पुराने प्रोजेक्ट पर काम हो पाया। नेहरूनगर से कुम्हारी तक बनाए जा रहे चार फ्लाईओवर की लेटलतीफी किसी से छिपी नहीं है। घड़ी चौक सुपेला और कुम्हारी में बना फ्लाईओवर शुरू किया गया है, दोनों का निर्माण इतना घटिया रहा, कि तीन महीने में ही सड़क उखड़ने लगी। भारतमाला परियोजना पिछले 5 सालों से लटकी हुई है। किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। वे लगातार प्रशासनिक महकमें के चक्कर काट रहे हैं। अब जाकर इसका काम शुरू हो पाया है।  रेलवे से जुड़ी किसी भी सुविधा का विस्तार नहीं हो पाया। स्थिति जस के तस बनी हुई है, बल्कि ज्यादा खराब हो चुकी है। ऐसे में बघेल का जनाधार पहले की तरह नहीं रहा है। इधर विधानसभा चुनाव में 6 में से 4 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इसमें भी प्राय: नए चेहरे ही चुनाव जीतकर आए हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भी भाजपा किसी नए चेहरे पर दाव खेल सकती है। भाजपा मोदी लहर के बीच किसी भी प्रकार का रिस्क उठाने के मूड़ में नहीं है। इसे ध्यान रखकर ही 6 जनवरी को दुर्ग में बड़ी सभा कर कार्यकर्ताओं को चार्ज किया गया। बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी दुर्ग सीट से भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने यह चुनाव जीत लिया था। वे छत्तीसगढ़ से एक मात्र कांग्रेसी सांसद थे। 11 में से 10 सीटें भाजपा ने जीती, सिर्फ दुर्ग से कांग्रेस दिल्ली तक पहुंच पाई थी।

कांग्रेस से राजेंद्र साहू को मैदान में उतारे जाने के कई राजनीतिक मायने
कांग्रेस में दुर्ग से लोकसभा चुनाव के लिए दिग्गज नेताओं की फौज है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व विधायक अरुण वोरा, प्रदीप चौबे, प्रतिमा चंद्राकर, बीडी कुरैशी जैसे कांग्रेस नेता हैं, इन सब के बीच पार्टी ने राजेंद्र साहू को टिकट दी है। इन सबके बीच राजेंद्र साहू एक ऐसा नाम है, जिनका व्यापक जनाधार है। उनकी स्वच्छ और मृदुभाषी छवि उन्हें लोगों का मुरीद बना रही है। राजेंद्र साहू पहले मेयर का चुनाव निर्दलीय लड़ चुके हैं। लंबे समय तक पार्टी से बाहर रहने के बाद उन्हें पुन: सदस्यता मिली। इसके बाद उन्हें जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष भी बनाया गया था। इसके बाद से पूरे लोकसभा क्षेत्र में उनके समर्थकों की बढ़ोत्तरी हुई। वर्तमान में उनका जनाधार भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। साहू समाज के 35 से 40 प्रतिशत वोटर हैं, ऐसे में समाज का समर्थन मिलने से उनकी जीत पक्की मानी जा रही है।


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