• May 25, 2023

राजदंड यानी सेंगोल के बारे में आज हर भारतीय को जानना जरूरी, देखिए पूरी खबर

राजदंड यानी सेंगोल के बारे में आज हर भारतीय को जानना जरूरी, देखिए पूरी खबर

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज

राजदंड #सेंगोल

हर किसी को जो सवाल पूछना चाहिए वह है,

1947 से इसे क्यों छुपाया गया?

बाद में परंपरा का पालन क्यों नहीं किया जाता है?

इसे गायब किसने किया?

क्या यह विशेष पंथों को खुश करने के लिए है?

ऐसी और कितनी बातें छिपी हैं? और क्यों?

सेंगोल को एक पवित्र हिंदू समारोह में नेहरू को सौंप दिया गया था। सेंगोल पर खुदा तमिल में यह कविता है: यह हमारा आदेश है कि भगवान (शिव) के अनुयायी, राजा, स्वर्ग में शासन करेंगे। इस प्रकार, 15 अगस्त 1947 को सत्ता एक हिंदू ‘राजा’ को स्थानांतरित कर दी गई, जिसे एक जैसा शासन करने का आदेश दिया गया था।

तमिल में कविता अब सनातन सभ्यता में वापस आ रही है

यह सनातन सभ्यता की पुनर्स्थापना नहीं तो और क्या है ?

अब आप समझ गए होंगे कि सभी इस्लामिक पार्टियां उद्घाटन समारोह का बहिष्कार क्यों कर रही हैं।

ब्रिटिश शासन द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक स्वरूप प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक सेंगोल को नये संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। यह राजदंड (सेंगोल)अभी इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा हुआ है।

1947 में मूल सेंगोल बनाने में शामिल रहे दो लोगों, 96 वर्षीय वुम्मिदी एथिराजुलु और 88 वर्षीय वुम्मिदी सुधाकर के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने की उम्मीद है।

तमिल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस. राजावेलु ने कहा कि राजाओं के राज्याभिषेक का नेतृत्व करने और सत्ता के हस्तांतरण को पवित्र करने के लिए समयाचार्यों (आध्यात्मिक गुरुओं) के लिए यह एक पारंपरिक चोल प्रथा थी, जिसे शासक को मान्यता देने के तौर पर देखा जाता था।

उन्होंने कहा, ”तमिल राजाओं के पास यह सेंगोल (राजदंड के लिए तमिल शब्द) था, जो न्याय और सुशासन का प्रतीक है। दो महाकाव्यों – सिलपथिकारम और मणिमेकलई – में सेंगोल के महत्व का उल्लेख किया गया है।”

राजावेलु ने कहा कि संगम काल से ही ‘राजदंड’ का उपयोग खासा प्रसिद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि तमिल काव्य ‘तिरुक्कुरल’ में सेंगोल को लेकर एक पूरा अध्याय है।

राजावेलु ने पीटीआई-भाषा को बताया कि प्राचीन शैव मठ थिरुववदुथुराई आदिनम मठ के प्रमुख ने नेहरू को 1947 में सेंगोल भेंट किया था।

प्रमुख शैव मठों से जुड़े पी.टी. चोकलिंगम ने कहा, ”यह हमारे राजाजी (सी राजगोपालाचारी, भारत के अंतिम गवर्नर जनरल) थे जिन्होंने नेहरू को आश्वस्त किया कि इस तरह के समारोह की आवश्यकता है क्योंकि भारत की अपनी परंपराएं हैं और संप्रभु सत्ता के हस्तांतरण की अगुवाई एक आध्यात्मिक गुरु द्वारा की जानी चाहिए।”

14 अगस्त, 1947 को सत्ता के हस्तांतरण के समय, तीन लोगों को विशेष रूप से तमिलनाडु से लाया गया था – अधीनम के उप मुख्य पुजारी, नादस्वरम वादक राजरथिनम पिल्लई और ओथुवर (गायक) – जो सेंगोल लेकर आए थे और कार्यवाही का संचालन किया था।

तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के 2021-22 नीति नोट के अनुसार: ”सिंहासन के समय, पारंपरिक गुरु या राजा के उपदेशक नए शासक को औपचारिक राजदंड सौंप देंगे।”

इस परंपरा का पालन करते हुए, जब ओथुवमूर्तियों ने कोलारू पाथिगम-थेवारम से 11वें छंद की अंतिम पंक्ति का गायन पूरा किया, तो थिरुववदुथुरै अदीनम थंबीरन स्वामीगल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को सोने की परत चढ़ा चांदी का राजदंड सौंप दिया।


Related News

संकल्प से सिद्धि कार्यक्रम में सम्मिलित हुए दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर

संकल्प से सिद्धि कार्यक्रम में सम्मिलित हुए दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मरोदा पुरैना मंडल अंतर्गत नेवई वार्ड क्रमांक 34, बूथ…
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की जन समस्याओं को लेकर पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू एवं प्रतिनिधि मंडल ने किया कलेक्टर दुर्ग से की मुलाकात, सौंपा ज्ञापन

दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की जन समस्याओं को लेकर पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज…

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज दुर्ग। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के पूर्व विधायक ताम्रध्वज साहू एवं कांग्रेस के एक प्रतिनिधि…
रायपुर नाका मुक्तिधाम में चल रहे सौंदर्यीकरण कार्य का निरीक्षण करने महापौर टीम के साथ पहुँची

रायपुर नाका मुक्तिधाम में चल रहे सौंदर्यीकरण कार्य का निरीक्षण करने महापौर…

ट्राई सिटी एक्सप्रेस। न्यूज दुर्ग। नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत वार्ड 60 रायपुर नाका में स्थिति मुक्तिधाम…