• December 22, 2022

मेरे दो अनमोल रत्न, एक है राम तो दूजा लखन..

मेरे दो अनमोल रत्न, एक है राम तो दूजा लखन..


मेरे दो अनमोल रत्न, एक है राम तो दूजा लखन…
ट्राईसिटी एक्सप्रेस। न्यूज
शहर विधायक अरुण वोरा के दोनों सुपुत्र सुमीत और संदीप वोरा इन दिनों खासे चर्चा में हैं। आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ने अलग-अलग स्तर पर खेमेबंदी शुरू कर दी है। दोनों ही गली-मोहल्ले, चौक-चौराहों पर राजनीतिक बिसात तैयार कर रहे हैं। सुमीत वोरा ने तो इंदिरा मार्केट में अपना दफ्तर भी खोल दिया है, जहां रोजाना बड़ी संख्या में युवाओं की बैठक ली जा रही है। इधर संदीप आंकड़ों को समझने में बिजी हैं। उन्होंने अपनी अलग टीम तैयार कर रखी है। इतना ही इन दोनों राम-लखन के साथ एक अन्य भी सक्रिय हैं, जो हर समय इनके सहयोग के लिए आकर खड़े हो रहे हैं। पूर्व में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे विवेक मिश्रा नाराजगी के चलते वोरा परिवार से दूर हो गए थे। बाद में उन्होंने स्वयं अपनी गलती मानी, इसके बाद वोरा परिवार से पुन: जुड़ गए। वर्तमान में वे सुरक्षा कवच की तरह इन दोनों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जो युवाओं की टोलियां तैयार करने में इनकी मदद कर रहे हैं। वोरा के चुनाव की तैयारियों को लेकर अब बीजेपी नेताओं में खलमली मची हुई है। खबर यहां तक है कि वोरा के इन दिनों सुपुत्रों में बीजेपी के शीर्ष और वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों को भी तोड़ लिया है। बीजेपी के नेता विशेष रूप से सरोज पांडेय जो बैठकों की भी खबरें उन तक पहुंच रही हैं। इस प्रकार विधायक अरुण वोरा के दोनों सुपुत्र फिल्म राम-लखन के दोनों किरदार की तरह नजर आ रहे हैं, जिसका गाना मेरे दो अनमोल रतन एक है राम तो दूजा लखन खासा चर्चित हुआ था।


सुमीत वोरा
सामान्य तौर पर काफी शांत स्वभाव के हैं। अपने पिता और दादा की छाप उनमें नजर आती है। सभी के साथ मिलजुलकर रहना, आलोचना करने वालों से भी सहनशील होकर मिलना, उन्हें सुनना और समझने का प्रयास करना। सुमीत कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करते। हर काफी शालीन नजर आते हैं। लोगों की गलतियों को भी वे नजर अंदाज कर जाते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी खूबसूरती है। सभी बड़ों और प्रतिष्ठितजनों का सम्मान करना उनकी छवि को और निखारती है। सुमीत की वजह से इन दिनों युवाओं का एक बड़ी ग्रुप वोरा परिवार से जुड़ा हुआ है। सुमीत किसी भी राजनीतिक पद में नहीं हैं, लेकिन उनकी नजर हर तरफ रहती है। नेताओं, पत्रकारों, पार्षदों और अधिकारियों से लेकर बीजेपी के नेताओं से भी उन्होंने बराबर संपर्क बनाकर रखा हुआ है। शहर से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर ही वे आगामी विधानसभा की रणनीति तय कर रहे हैं। उनकी भूमिका काफी अहम मानी जा रही है।


संदीप वोरा
राजनीति में सक्रिय हैं। वर्तमान में युवा कांग्रेस में प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी में है। उन्हें संगठन के तरफ से अलग-अलग जिलों का प्रभार भी मिल चुका है। थोड़े गुस्सैल हैं पर अपने पिता और दादा द्वारा वर्षों में बनाई गई छवि को धूमिल होने वे भी डरते हैं, लेकिन दो बार सोशल मीडिया में उनका ऑडियो वायरल हो चुका है। इसके अलावा कुछ राजनीतिक स्वार्थियों के बीच उनका उठना-बैठना कुछ समय के लिए खासा चर्चा में रहा। वर्तमान में उन्होंेने ऐसे लोगों के साथ उठना-बैठना कम कर दिया है। वर्तमान में वे भी अपने पिता को आगामी विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है। अलग-अलग स्तर पर फीडबैक लेने के साथ ही अनुभवी लोगों के संपर्क में है। लगातार फीडबैक भी ले रहे हैं। निगम में उनकी कार्यप्रणाली को लेकर खासी चर्चा है। उनके साथ घूमने वाले कुछ लोग उनके नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। इससे उनकी छवि पर असर भी पड़ा है।


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